UPSC Geography Optional Syllabus in Hindi 2023

यूपीएससी(UPSC) भूगोल वैकल्पिक पाठ्यक्रम 2023

‘भूगोल’ यूपीएससी(UPSC) परीक्षा के वैकल्पिक विषय की सूची में सम्मिलित 48 विषयों में से एक है। यदि आप यूपीएससी(UPSC) की तैयारी के क्रम में भूगोल को वैकल्पिक विषय (Optional Subject) के रूप में लेना चाहते हैं तो इस लेख (UPSC Geography Optional Syllabus in Hindi 2023) में दिया गया सिलेबस आपकी काफी मदद करेगा।यह सम्पूर्ण सिलेबस ऑफिसियल विज्ञापन से लिया गया है।

अधिकांश उम्मीदवार जो भूगोल को स्नातक विषय के रूप में चुनते हैं या जो विषय में रुचि रखते हैं, वे इसे मुख्य परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में चुनते हैं। हालांकि, जो उम्मीदवार पहले यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं उनके अनुसार, भूगोल एक आसान समझने वाला और अधिक वैज्ञानिक विषय है, यही वजह है कि विज्ञान, चिकित्सा और इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि वाले कई उम्मीदवार इसे पसंद करते हैं। साथ ही UPSC Geography Optional Syllabus को यूपीएससी मेन्स में उच्च अंक प्राप्त करने के लिए भी जाना जाता है जो उम्मीदवारों के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

UPSC Geography Optional Syllabus
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UPSC Geography Optional Syllabus 

प्रश्नपत्र-1(Paper-1)

यूपीएससी भूगोल पाठ्यक्रम पेपर 1 को ‘भूगोल के सिद्धांत'(Principles of Geography) भी कहा जाता है जिसे दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है एक भौतिक भूगोल (Physical Geography) और दूसरा मानव भूगोल (Human Geography) है।

भूगोल के सिद्धांत (Principles of Geography)
प्राकृतिक भूगोल (Physical Geography)

1. भूआकृतिक विज्ञानः भूआकृतिक विकास के नियंत्रक कारक; अंतर्जात एवं बहिर्जात बल; भूपर्पटी का उद्गम एवं विकास; भू-चुंबकत्व के मूल सिद्धांत; पृथ्वी के अंतरंग की प्राकृतिक दशाएँ; भू-अभिनति; महाद्वीपीय विस्थापन; समस्थिति; प्लेट विवर्तनिकी; पर्वतोत्पत्ति के संबंध में अभिनव विचार; ज्वालामुखीयता; भूकंप एवं सुनामी, भूआकृति चक्र एवं दृश्यभूमि विकास की संकल्पनाएँ; अनाच्छादन कालानुक्रम; जलमार्ग आकृतिविज्ञान; अपरदन पृष्ठ; प्रवणता विकास; अनुप्रयुक्त भूआकृति विज्ञान; भूजलविज्ञान, आर्थिक भूविज्ञान एवं पर्यावरण।

2. जलवायु विज्ञानः विश्व के ताप एवं दाब कटिबंध; पृथ्वी का तापीय बजट; वायुमंडल परिसंचरण; वायुमंडल स्थिरता एवं अस्थिरता; भूमंडलीय एवं स्थानीय पवन; मानसून एवं जेट प्रवाह; वायु राशि एवं वाताग्रजनन; कोपेन, थॉर्नवेट एवं त्रेवार्था एवं त्रेवार्था का विश्व जलवायु वर्गीकरण; जलीय चक्र; विश्व जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु परिवर्तन में मानव की भूमिका एवं अनुक्रिया; अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान एवं नगरी जलवायु।

3. समुद्र विज्ञानः अटलांटिक, हिंद एवं प्रशांत महासागरों की तलीय स्थलाकृति; महासागरों का ताप एवं लवणता; ऊष्मा एवं लवण बजट, महासागरीय निक्षेप; तरंग धाराएँ एवं ज्वार-भाटा; समुद्री संसाधन; जीवीय, खनिज एवं ऊर्जा संसाधन; प्रवाल भित्तियाँ, प्रवाल विरंजन; समुद्र तल परिवर्तन; समुद्री नियम एवं समुद्री प्रदूषण।

4. जीव भूगोलः मृदाओं की उत्पत्ति; मृदाओं का वर्गीकरण एवं वितरण; मृदा परिच्छेदिका; मृदा अपरदन; न्यूनीकरण एवं संरक्षण; पादप एवं जंतुओं के वैश्विक वितरण को प्रभावित करने वाले कारक; वन अपरोपण की समस्याएँ एवं संरक्षण के उपाय; सामाजिक वानिकी; कृषि वानिकी; वन्य जीवन; प्रमुख जीन पूल केन्द्र।

5. पर्यावरणीय भूगोलः पारिस्थितिकी के सिद्धांत; मानव पारिस्थितिक अनुकूलन; पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर मानव का प्रभाव; वैश्विक एवं क्षेत्रीय पारिस्थितिकी परिवर्तन एवं असंतुलन; पारितंत्र, उनका प्रबंधन एवं संरक्षण; पर्यावरणीय निम्नीकरण, प्रबंध एवं संरक्षण; जैव-विविधता एवं संपोषणीय विकास; पर्यावरणीय शिक्षा एवं विधान।

मानव भूगोल (Human Geography) 

1. मानव भूगोल में संदर्शःक्षेत्रीय विभेदन; प्रादेशिक संश्लेषण; द्विभाजन एवं द्वैतवाद; पर्यावरणवाद; मात्रात्मक क्रांति एवं अवस्थिति विश्लेषण; उग्रसुधार, व्यावहारिक, मानवीय एवं कल्याण उपागम; भाषाएँ, धर्म एवं धर्मनिरपेक्षता; विश्व के सांस्कृतिक प्रदेश; मानव विकास सूचकांक।

2. आर्थिक भूगोलः विश्व आर्थिक विकासः माप एवं समस्याएँ; विश्व संसाधन एवं उनका वितरण; ऊर्जा संकट; संवृद्धि की सीमाएँ; विश्व कृषिः कृषि प्रदेशों की प्रारूपता; कृषि निवेश एवं उत्पादकता; खाद्य एवं पोषण समस्याएँ; खाद्य सुरक्षा; दुर्भिक्षः कारण, प्रभाव एवं उपचार; विश्व उद्योग, अवस्थानिक प्रतिरूप एवं समस्याएँ; विश्व व्यापार के प्रतिमान।

3. जनसंख्या एवं बस्ती भूगोलः विश्व जनसंख्या की वृद्धि और वितरण; जनसांख्यिकी गुण; प्रवासन के कारण एवं परिणाम; अतिरेक-अल्प एवं अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पनाएँ; जनसंख्या के सिद्धांत; विश्व की जनसंख्या समस्याएँ और नीतियाँ; सामाजिक कल्याण एवं जीवन गुणवत्ता; सामाजिक पूंजी के रूप में जनसंख्या; ग्रामीण बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण बस्तियों में पर्यावरणीय मुद्दे; नगरीय बस्तियों का पदानुक्रम; नगरीय आकारिकी; प्रमुख शहर एवं श्रेणी आकार प्रणाली की संकल्पना; नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; नगरीय प्रभाव क्षेत्र; ग्राम नगर उपांत; अनुषंगी नगर; नगरीकरण की समस्याएँ एवं समाधान; नगरों का संपोषणीय विकास।

4. प्रादेशिक आयोजनः प्रदेश की संकल्पना; प्रदेशों के प्रकार एवं प्रदेशीकरण की विधियाँ; वृद्धि केन्द्र तथा वृद्धि ध्रुव; प्रादेशिक असंतुलन; प्रादेशिक विकास कार्यनीतियाँ; प्रादेशिक आयोजन में पर्यावरणीय मुद्दे; संपोषणीय विकास के लिये आयोजन।

5. मानव भूगोल में मॉडल, सिद्धान्त एवं नियमः मानव भूगोल में तंत्र विश्लेषण; माल्थस का, मार्क्स का और जनसांख्यिकीय संक्रमण मॉडल; क्रिस्टा़वर एवं लॉश का केन्द्रीय स्थान सिद्धान्त; पेरू एवं बूदविए; वॉन थूनेन का कृषि अवस्थिति मॉडल, वेबर का औद्योगिक अवस्थिति मॉडल; ओस्तोव का वृद्धि अवस्था मॉडल; अंतःभूमि एवं बहिःभूमि सिद्धान्त; अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ एवं सीमांत क्षेत्र के नियम।


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प्रश्नपत्र-2 (Paper-2)

भारत का भूगोल (Geography of India)

1. भौतिक विन्यासः पड़ोसी देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष संबंध; संरचना एवं उच्चावच; अपवाह तंत्र एवं जल विभाजक; भू-आकृतिक प्रदेश; भारतीय मानसून एवं वर्षा प्रतिरूप, उष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं पश्चिमी विक्षोभ की क्रियाविधि; बाढ़ एवं अनावृष्टि; जलवायवीय प्रदेश; प्राकृतिक वनस्पति; मृदा एवं उनका वितरण।

2. संसाधनः भूमि, सतह एवं भौमजल, ऊर्जा, खनिज, जीवीय एवं समुद्री संसाधन; वन एवं वन्य जीवन संसाधन एवं उनका संरक्षण; ऊर्जा संकट।

3. कृषिः अवसंरचना, सिंचाई, बीज, उर्वरक, विद्युत; संस्थागत कारकः जोत, भू-धारण एवं भूमि सुधार; शस्यन प्रतिरूप, कृषि उत्पादकता, कृषि प्रकर्ष, फसल संयोजन, भूमि क्षमता; कृषि एवं सामाजिक वानिकी; हरित क्रान्ति एवं इसकी सामाजिक आर्थिक एवं पारिस्थितिक विवक्षा; वर्षाधीन खेती का महत्त्व; पशुधन संसाधन एवं श्वेत क्रान्ति; जल कृषि, रेशम कीटपालन, मधुमक्खी पालन एवं कुक्कुट पालन; कृषि प्रादेशीकरण; कृषि जलवायवीय क्षेत्र; कृषि पारिस्थितिक प्रदेश।

4. उद्योगः उद्योगों का विकास; कपास, जूट, वस्त्रोद्योग, लौह एवं इस्पात, एल्युमिनियम, उर्वरक, कागज, रसायन एवं फार्मास्युटिकल्स ऑटोमोबाइल, कुटीर एवं कृषि आधारित उद्योगों के अवस्थिति कारक; सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित औद्योगिक संकुल; औद्योगिक प्रादेशीकरण; नई औद्योगिक नीति; बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ एवं उदारीकरण; विशेष आर्थिक क्षेत्र; पारिस्थितिक-पर्यटन समेत पर्यटन।

5. परिवहन, संचार एवं व्यापारः सड़क, रेलमार्ग, जलमार्ग, हवाई मार्ग एवं पाइपलाइन नेटवर्क एवं प्रादेशिक विकास में उनकी पूरक भूमिका; राष्ट्रीय एवं विदेशी व्यापार वाले पत्तनों का बढ़ता महत्व; व्यापार संतुलन; व्यापार नीति; निर्यात प्रक्रमण क्षेत्र; संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में आया विकास और अर्थव्यवस्था तथा समाज पर उनका प्रभाव; भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम।

6. सांस्कृतिक विन्यासः भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य; प्रजातीय, भाषिक एवं नृजातीय विविधताएँ; धार्मिक अल्पसंख्यक; प्रमुख जनजातियाँ, जनजातीय क्षेत्र तथा उनकी समस्याएँ; सांस्कृतिक प्रदेश; जनसंख्या की संवृद्धि, वितरण एवं घनत्व; जनसांख्यिकीय गुण; लिंग अनुपात, आयु संरचना, साक्षरता दर, कार्यबल, निर्भरता अनुपात, आयुकाल; प्रवासन (अंतः प्रादेशिक, प्रदेशांतर तथा अंतर्राष्ट्रीय) एवं इससे जुड़ी समस्याएँ, जनसंख्या समस्याएँ एवं नीतियाँ; स्वास्थ्य सूचक।

7. बस्तीः ग्रामीण बस्ती के प्रकार, प्रतिरूप तथा आकारिकी; नगरीय विकास; भारतीय शहरों की आकारिकी; भारतीय शहरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; सत्रनगर एवं महानगरीय प्रदेश; नगर स्वप्रसार; गंदी बस्ती एवं उससे जुड़ी समस्याएँ; नगर आयोजना; नगरीकरण की समस्याएँ एवं उपचार।

8. प्रादेशिक विकास एवं आयोजनः भारत में प्रादेशिक आयोजन का अनुभव; पंचवर्षीय योजनाएँ; समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम; पंचायती राज़ एवं विकेंद्रीकृत आयोजन; कमान क्षेत्र विकास; जल विभाजक प्रबंध; पिछड़ा क्षेत्र, मरूस्थल, अनावृष्टि प्रबण, पहाड़ी, जनजातीय क्षेत्र विकास के लिये आयोजना; बहुस्तरीय योजना; प्रादेशिक योजना एवं द्वीप क्षेत्रों का विकास।

9. राजनैतिक परिप्रेक्ष्यः भारतीय संघवाद का भौगोलिक आधार; राज्य पुनर्गठन; नए राज्यों का आविर्भाव; प्रादेशिक चेतना एवं अंतर्राज्यीय मुद्दे; भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और संबंधित मुद्दे; सीमापार आतंकवाद; वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका; दक्षिण एशिया एवं हिन्द महासागर परिमंडल की भू-राजनीति।

10. समकालीन मुद्देः पारिस्थितिक मुद्देः पर्यावरणीय संकटः भू-स्खलन, भूकंप, सुनामी, बाढ़ एवं अनावृष्टि, महामारी; पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंधित मुद्दे; भूमि उपयोग के प्रतिरूप में बदलाव; पर्यावरणीय प्रभाव आकलन एवं प्रबंधन के सिद्धान्त; जनसंख्या विस्फोट एवं खाद्य सुरक्षा; पर्यावरणीय निम्नीकरण, वनोन्मूलन, मरूस्थलीकरण एवं मृदा अपरदन; कृषि एवं औद्योगिक अशांति की समस्याएँ; आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताएँ; संपोषणीय वृद्धि एवं विकास की संकल्पना; पर्यावरणीय संचेतना; नदियों का सहवर्द्धन भूमंडलीकरण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था। 

टिप्पणीः अभ्यर्थियों को इस प्रश्नपत्र में दिये गए विषयों से संगत एक मानचित्र-आधारित प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य होगा।

नोट : भूगोल की तैयारी  में मानचित्र अध्ययन की अहम भूमिका होती है।



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