निबंध – साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप ? Essay on Cyberspace and Internet in Hindi | 2023

हम इस लेख के माध्यम से ‘साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप’ के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करने जा रहे हैं, जो वर्तमान समय का काफी ज्वलंत मुद्दा भी है।

साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप ?

आज के इस आधुनिक युग में लोगों के बीच आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा तथा तकनीक के अंधाधुन प्रयोग को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार इंटरनेट और साइबर स्पेस ने हमारे रोजमर्रा के जीवन में पैठ बना ली है। इसने सुविधाओं के नए आयाम को खोल दिया है तथा देश-दुनिया को आपस में जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप

यदि साइबरस्पेस तथा इंटरनेट की बात की जाए तो दोनों ही एक दूसरे के पूरक माने जा सकते हैं। परंतु इनमें कुछ अंतर विधमान हैं, जैसे इंटरनेट एक नेटवर्क है, जो कंप्यूटर नेटवर्क और सर्वर को जोड़ने का कार्य करता है जबकि साइबरस्पेस, इंटरनेट के अंदर वर्चुअल रूप में निष्पादित किये जाने वाले कार्यों का एक पूरा वातावरण तैयार करता है (जैसे – गूगल फेसबुक व्हाट्सएप इत्यादि)। 

साइबरस्पेस तथा इंटरनेट एक ऐसा वातावरण तैयार करते हैं जिसमें दुनिया के किसी भी कोने में बैठे लोग एक दूसरे के साथ जुड़ सकते हैं, अपने विचारों को एक दूसरे के साथ साझा कर सकते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों की मीटिंग आजकल ऑनलाइन होने लगी है, लोग वेबक्लाउड जैसे-जीमेल(Gmail), याहू(Yahoo) इत्यादि के माध्यम से अपने निजी दस्तावेज सुरक्षित रख सकते हैं, ऑनलाइन शॉपिंग जैसी सुविधाएं आदि। इस प्रकार यह सभी हमारे जीवन में इंटरनेट की महत्ता को बताते हैं। हालांकि इंटरनेट की शुरुआत एक सकारात्मक सोच के साथ हुई थी परंतु जहां एक वरदान के रूप में है वहीं कई नकारात्मक परिणाम अर्थात अभिशाप को हम नकार नहीं सकते।

तो आइये हम विस्तारपूर्वक चर्चा करते हैं साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप के बारे में।

साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप

साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान कैसे ?

वर्तमान समय में सरकार अपनी कई योजनाओं जैसे – डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी योजना, मेक इन इंडिया, कौशल विकास योजना, स्वच्छ भारत मिशन आदि कार्यक्रमों के माध्यम से देश को जोड़ने डिजिटल बनाने तथा नयी – नयी तकनीकों से जोड़ने के साथ ही लोगों को आत्मनिर्भर बनाने तथा विदेशी निवेश को भी आकर्षित करने का कार्य कर रहे हैं। ताकि विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र में और अधिक विस्तार किया जा सके, जिससे देश में आर्थिक विकास की गति तीव्र हो तथा हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सके। 

यदि शिक्षा के क्षेत्र में बात की जाए तो मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट आदि जैसे आधुनिक उपकरणों पर ई-लर्निंग के लिए कई एप्लिकेशन उपलब्ध हैं। जिसके कारण भारत के कई महानगरों और अन्य शहरों में शिक्षा प्रणाली काफी हद तक आधुनिक हो गई है। जिससे कई अंतरराष्ट्रीय स्कूलों के साथ-साथ भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली भी डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रही है। 

आज कई बड़े-बड़े निजी संस्थान अपने वीसैट सर्विसेज के माध्यम से एकसाथ कई जगहों पर ऑनलाइन क्लासेज़ उपलब्ध कराते हैं। साथ ही सभी प्रकार के स्टडी मटेरियल इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हैं। हालांकि अब ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में वीडियो प्रस्तुति, ई-लर्निंग विधियों और अन्य डिजिटल पद्धतिओं के माध्यम से पढ़ाई की जा रही है तथा कई प्रकार के सरकारी फॉर्म (जैसे – बिजली, पानी, फ़ोन बिल इत्यादि) का भुगतान ऑनलाइन होने के कारण पेपरलेस सोसाइटी को भी बढ़ावा मिल रहा है। 

ऑनलाइन शॉपिंग ऐप जैसे – ओएलएक्स(OLX), मिंत्रा (Myntra), अमेज़न(Amazon), स्विगी, बिग बास्केट इत्यादि के माध्यम से लोग अपनी मनपसंद की चीजें खरीद तथा बेच सकते हैं।जिससे लोगों के समय के साथ-साथ पैसों की भी बचत होती है, इससे लोगों में बचत करने की प्रवृत्ति को बल मिला है।

फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर , इंस्टाग्राम जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से आम जनता को देश-विदेश के लोगों के साथ जुड़ने का मौका मिल रहा है। जिससे अलग-अलग जगहों के संस्कृति तथा समाज को जानने का मौका मिलता है। साथ ही साथ यह अभिव्यक्ति की आजादी भी प्रदान करता है, जैसे कई बार देखा गया है कि लोग ट्विटर तथा फेसबुक के माध्यम से सरकार के प्रति उदासीनता को जाहिर करते हैं। यदि हाल ही की कुछ घटना देखी जाए तो कई बार भारत में रेल मंत्री द्वारा ट्विटर पर मिली शिकायतों का काफी सक्रिय से निपटारा करना इस बात का गवाह है।

यदि महिला सुरक्षा की बात की जाए तो इंटरनेट की इसमें काफी सक्रिय भूमिका देखी जा सकती हैं जैसे “आई एम शक्ति ऐप” (इसकी खासियत किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन में पावर बटन को 2 सेकंड में 5 बार दबाने पर स्वतः ही एसएमएस(SMS) भेजा जा सकता है।”निर्भया ऐप” (यह ऐप भी इमरजेंसी एसएमएस(SMS) भेजने के साथ-साथ कॉल भी कर देता है, जिससे जीपीएस(GPS) एक्टिवेट हो जाता है तथा मोबाइल की सही लोकेशन ट्रेस करने में मदद मिलती है),  “विद यू” तथा “सिक्योर हर” इत्यादि।

2016 में नोट बंदी के कारण डिजिटल पेमेंट को काफी बढ़ावा मिला। मोबिक्विक, भीम, पेटीएम, फोनपे(Phonepe) आदि जैसे ऐप ने डिजिटल पेमेंट मोड को बढ़ावा देने का कार्य किया इसके साथ ही हमारी अर्थव्यवस्था लगातार एक कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रही है।

लोगों के जीवन में इंटरनेट की बढ़ती भागीदारी के कारण नागरिक सुविधाओं का भी डिजिटलीकरण होने लगा है। जैसे आय, निवास, जन्म आदि से जुड़े प्रमाण पत्र लोग इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे ही प्राप्त कर लेते हैं। इसके साथ ही बैंकिंग प्रणाली का पूर्णतः डिजिटलीकरण होने के कारण गैस सब्सिडी, मनरेगा जैसी योजनाओं से प्राप्त आय, पेंशन इत्यादि सीधी जनता के खाते में ट्रांसफर होने के कारण यहां भ्रष्टाचार जैसी संभावना काफी कम हो गयी है तथा लोग अपनी जरूरत के हिसाब से पैसे की निकासी कर सकते हैं। (साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप)

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इस प्रकार देखा जाए तो इंटरनेट को दीर्घकाल तक मानव सभ्यता के लिए वरदान के रूप में माना जा सकता है परंतु उसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी हैं। जैसे-

साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप

साइबरस्पेस और इंटरनेट अभिशाप कैसे ?

सोशल मीडिया वर्तमान समय में लोगों के मन की भड़ास को निकालने का एक महत्वपूर्ण हथियार साबित हो रहा है। यहां कई बार अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे भी टूट जाते हैं। यदि हम चुनाव के समय की बात करें तो सोशल मीडिया उस समय नेताओं के लिए एक अखाड़े के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जहाँ वो जमकर एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाते हैं तथा जनता को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं, जिसका जनता के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतः वह यहां भी वोट बैंक की राजनीति करने से नहीं चूकतें।

कई बार यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे वेबसाइट पर महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी तथा आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर उन्हें ट्रोल किया जाता है, जिसके खिलाफ कोई भी कड़े कानून का प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही ये सभी ऐप देश में सांप्रदायिक दंगे भड़काने का सबसे सस्ता तथा तीव्र साधन/जरिया है। कई बार न्यूज़ चैनल भी इन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से न्यूज़ को तोड़-मरोड़ कर पेश करती हैं जो वास्तविकता से थोड़ी अलग होती है। अतः यह सभी चीजें देश को भीतर से खोखला करने का कार्य कर रही हैं।

आज इंटरनेट और सोशल मीडिया के भले ही कितने लाभ क्यों न हो पर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका काफी सक्रिय देखी जा रही है। आज इंटरनेट फोरम या चैट रूम जैसी सुविधाओं के माध्यम से किसी भी प्रकार का प्रचार-प्रसार करना तथा नए सदस्यों का समर्थन जुटाना काफी आसान हो गया है। आतंकवादी इंटरनेट सुविधाओं के माध्यम से युवाओं को भ्रमित करने तथा आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही इंटरनेट पर आतंकवादी विषय-वस्तु की खोज काफी आसान हो गई है, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।

देश जहां आज डिजिटल युग में प्रवेश कर रहा है वहीं डेटा संरक्षण सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। वर्तमान समय में बैंकिंग क्षेत्र,  कॉर्पोरेट क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र इन सभी की कार्यप्रणाली डिजिटल हो चुकी है, जिससे कई बार बैंक खातों से बिना अनुमति पैसे ट्रांसफर या चोरी की समस्या, रक्षा तथा कॉर्पोरेट क्षेत्र की अहम संवेदनशील जानकारियों के लीक होने की समस्या अर्थात साइबर अटैक जैसी समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही हैं जिस पर अंकुश लगाना जरूरी है।

इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग ने लोगों को वास्तविक दुनिया से वर्चुअल दुनिया की ओर शिफ्ट कर दिया है। लोग इंटरनेट पर इतने ज्यादा व्यस्त हो गए हैं कि उनके बीच आपसी संवाद काफी कम हो गया है। जिसके कई बुरे परिणाम पहले भी आते रहे हैं जैसे  कुछ साल पहले इंटरनेट से जुड़ा ब्लू व्हेल गेम की घटना को देखा जाए तो यह गेम बच्चों की मनोस्थिति पर इस प्रकार हवि थी कि इसमें दिए गए चैलेंज को पूरा करने के लिए बच्चों ने आत्महत्या जैसे कदम उठा लिया और उनके अभिभावक (माता-पिता) को इसकी जानकारी तक नहीं होती।अतः यह दर्शाता है कि इंटरनेट ने लोगों के बीच दूरियों को बढ़ाने का कार्य किया है।

कई बार इंटरनेट पर कुछ हटके सेल्फी अपलोड करने का जुनून मौत का कारण भी बन जाता है फिर भी लोगों का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जाता यह एक चिंतनीय विषय है। इंटरनेट पर अधिक समय बिताना हमारे लिए कई बीमारियों को निमंत्रण देने जैसा है। एक शोध के मुताबिक इंटरनेट की लत चिंता, अवसाद, मोटापा और सामाजिक अलगाव जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार यदि एक व्यक्ति हफ्ते में 25 घंटे इंटरनेट पर व्यतीत करता है तो उसे उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। अतः इंटरनेट का अत्यधिक दोहन ठीक नहीं। (साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप)

“बैठा है यमराज वहां पर

 नहीं सुरक्षा है जहां पर।

 शुद्ध सुरक्षित उत्पाद प्रक्रिया

 सुरक्षित कार्य की है यह विद्या।

 सुरक्षा से नाता जोड़ो

 असुरक्षित कार्यों से मुंह मोड़ो”। 

निष्कर्ष – (साइबरस्पेस और इंटरनेट वरदान या अभिशाप)

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि इंटरनेट का उपयोग सही है। परंतु इसका उपयोग हमेशा आत्म विकास तथा समाज कल्याण के लिए होना चाहिए क्योंकि इसका अधिक प्रयोग हमें उपभोक्तावादी संस्कृति की ओर ले जा जाता है जिसकी काफी नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। अतः ये मनुष्य के कल्याण का एक साधन है, इसे साध्य नहीं बनाना चाहिए नहीं तो समस्याएं आएंगी। इस प्रकार यदि संसाधनों का एक सीमा तक प्रयोग किया जाए तो वरदान के समान होता है परंतु संसाधनों का अत्यधिक दोहन अभिशाप बन जाता है।

 

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