महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi) 2023

महिला सशक्तिकरण (Mahila Sashaktikaran)

महिला सशक्तिकरण (Mahila Sashaktikaran) वर्तमान समय का एक काफी ज्वलंत मुद्दा है। क्योंकि सामाजिक कुरीतियों से ग्रसित इस समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति से लेकर उनका अंतरिक्ष तक का सफर तय करना कितना चुनौतीपूर्ण रहा होगा, यह सोचते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आदिकाल से उपेक्षित महिलाएं आज राफेल उड़ा रही हैं यह एक सुखद अनुभूति का एहसास कराता है। परंतु इसकी राह इतनी आसान नहीं थी जितनी प्रतीत होती हैं।

कहा जाता है कि एक सभ्य समाज की स्थापना वहां के नागरिकों से होती है। आज समाज में महिलाएं आधे का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। स्वाभाविक है कि एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए वहां की महिलाएं अनुसरणकर्ता न होकर नेतृत्वकर्ता हों।

समाज में महिलाओं की स्थिति को संरक्षित करने की दिशा में किया गया प्रत्येक कार्य, जो उनकी और औचित्यता  को बल प्रदान करता हो, ‘महिला सशक्तिकरण’ (Mahila Sashaktikaran) कहलाता है।

आदिकाल से ही महिलाओं को उपभोग और विलासिता की सामग्री समझी गई साथ ही उन्हें तमाम सामाजिक कुरीतियों व शोषण का शिकार होना पड़ा। सामान्य महिलाओं कि बात तो दूर यहाँ रजिया सुल्तान जैसी शासिका को भी भेदभाव व लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ा। जो कहीं न कहीं पितृसत्तात्मक समाज के आडंबरों की पोल खोलती प्रतीत होती है।

हालाँकि वर्त्तमान समय में महिला सशक्तिकरण(Mahila Sashaktikaran) के लिए सरकार द्वारा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दिशा में कई प्रयास किये जा रहे हैं जो निम्न हैं:- 

महिला सशक्तिकरण में सामाजिक प्रयास  

भीमराव अंबेडकर जी ने कहा था कि – “न्यायपूर्ण समाज वह है, जिसमें परस्पर सम्मान की बढ़ती हुई भावना और अपमान की घटती हुई भावना मिलकर एक करुणा से भरे  समाज का निर्माण करें।”

गौरतलब है कि एक स्वस्थ समाज के  निर्माण के लिए आवश्यक है कि वह महिलाओं को तमाम चुनौतियों से बचाएं साथ ही सामाजिक न्याय व लैंगिक समानता को बढ़ावा दें। जिसे निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:-

  • भारतीय संविधान का नीति निर्देशक तत्व महिलाओं के लिए प्रसूति सहायता तथा कार्य के लिए कार्य करने के लिए उपयुक्त माहौल की व्यवस्था का प्रावधान करता है।
  • कार्यस्थल पर महिलाओं को शोषण मुक्त माहौल मुहैया कराने के लिए ‘विशाखा गाइडलाइन’ जारी की गई है। 
  • ‘पॉक्सो एक्ट’ का क्रियान्वयन किया गया है।  
  • न्यूनतम वैवाहिक उम्र को तय करने की दिशा में ‘जया जेटली कमेटी’ का गठन किया गया है। 
  • कामकाज़ी महिलाओं के लिए मासिक धर्म के समय अवकाश की व्यवस्था की गई है।
  • गर्भपात की समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है। 
  • विभिन्न राज्यों द्वारा महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। 
  • सरकार द्वारा भ्रूण परीक्षण में उपयुक्त अल्ट्रासाउंड व्यवस्था को गैरकानूनी घोषित किया गया ताकि महिलाओं को शोषण से बचाया जा सके। 
  • दहेज लेने व देने पर कठोर प्रतिबंध लगाया गया है। हालाँकि सरकार इस पर पूर्णतः रोका तो नहीं लगा पायी है, परंतु लोगों की जागरूकता की वजह से दहेज प्रथा में थोड़ी कमी जरूर आयी है। 
  • सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से महिलाओं के विकास कि दिशा में कई कार्य किए जा रहे हैं।  
  • महिलाओं द्वारा जमीन खरीदने पर रजिस्ट्रेशन शुल्क की माफी। 

उपरोक्त प्रयास महिलाओं को समाज में न केवल बराबरी का दर्जा प्रदान करता है बल्कि राष्ट्र निर्माण में उन्हें योगदान देने के लिए प्रेरित भी करता है। 

महिला सशक्तिकरण में आर्थिक प्रयास

Mahila Sashaktikaran
Mahila Sashaktikaran

“सामाजिक न्याय की प्राप्ति बिना आर्थिक स्वतंत्रता संभव नहीं है”

                                                             – महात्मा गांधी

कई बार महिलाओं को उनके श्रम के अनुरूप धन नहीं प्राप्त होते हैं परंतु आदिकाल से वर्तमान परिप्रेक्ष्य की बात की जाए तो संविधान व सशक्त सरकारों की नीतियों के कारण महिला सशक्तिकरण(Mahila Sashaktikaran)की सफलता की ध्वनि गूंजती प्रतीत हो रही है।  

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39  महिलाओं के लिए समान कार्य के बदले समान वेतन का प्रावधान करता है। 
  • साथ ही संविधान में महिलाओं के लिए निशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था की गई है। 
  • विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं का सृजन किया गया है। जैसे – बिहार सरकार द्वारा “मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना” के अंतर्गत व्यापार के लिए 10 लाख ऋण की व्यवस्था की गई है जिसमें 5 लाख तक की सब्सिडी दी जाती है। 
  • एमएसएमई (MSME) सेक्टर में महिलाओं के लिए विशेष सब्सिडी की व्यवस्था की गई है। 
  • महिलाओं द्वारा सौर वाहनों की खरीद पर 50 – 100 फीसदी तक सब्सिडी की व्यवस्था दी गई है। 

महिला सशक्तिकरण में राजनीतिक प्रयास

इलेक्शन कमीशन की रिपोर्ट की माने तो वर्तमान समय में संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10.5 % के करीब है। जो कहीं न कहीं राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी को दर्शाता है। हालाँकि महिलाएं आज़ादी के समय राजनीतिक रूप से सक्रीय तो थी परंतु आजादी के बाद उन्हें भी कई ऐसे अधिकार दिए गई जिससे वो राजनीतिक रूप से भी सशक्त बन सकें।  

  • संविधान में महिलाओं को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता दी गई।
  • व्यस्क मताधिकार के अनुसार मतदान का अधिकार दिया गया।
  • सरकार द्वारा कुछ लोकसभा व विधानसभा की सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है।
  • पंचायत स्तर पर आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है।
  • जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
  • युवाओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न वेबिनारों तथा सेमिनारों का आयोजन कराया जाता है।

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महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में किये गए विभिन्न प्रयासों का ही नतीजा है कि आज महिला महिलाएं कई क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। जिसके प्रभावों को हम विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं जैसे:-

खेलकूद के क्षेत्र में 

  • महिला सशक्तिकरण(Mahila Sashaktikaran) की निरंतर चलती पहलों के कारण आज महिलाएं खेलकूद में अग्रणी हैं। चाहे वह ओलंपिक में स्वर्ण दिलाने वाली मीराबाई चानू हो या पी.वी. सिंधु, अदिति अशोक, मैरीकॉम, लवलीना बोरगोहेन, ज्योति याराजी जैसे असंख्य नाम महिला सशक्तिकरण(Mahila Sashaktikaran) की सफलता को प्रज्वलित करती नजर आती हैं। 
  • आज सरकार महिलाओं के लिए सभी आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था के साथ ही विश्व स्तरीय ट्रेनिंग मुहैया करा रही है। ताकि हमारे देश की महिलाएं मेडल जीत कर देश का नाम रौशन कर सकें। 
  • स्पोर्ट्स कोटा से पुरुष खिलाड़ियों के साथ-साथ महिला खिलाड़ियों के लिए भी सरकारी नौकरी की व्यवस्था की गई है। 
  • खिलाड़ियों को विभिन्न योजनाओं का ब्रांड एंबेसडर घोषित कर समाज में रोल मॉडल के रूप में व्यवस्थित किया जाता है। 

पर्यावरण के क्षेत्र में

आज महिलाएं जलवायु परिवर्तन की समस्या को दूर करने की दिशा में पर्यावरण के प्रति काफी सचेत हैं। यह उनकी वैश्विक नेतृत्व में भूमिका तथा आपसी सामंजस्य को दर्शाती है। इटली के प्रधानमंत्री “जॉर्जिया मेलोनी” का रायसीना डायलॉग में पर्यावरण के प्रति अपनी चिंता जाहिर करना या फिर स्वीडन की पर्यावरणविद “ग्रेटा थनबर्ग” को वैश्विक नेताओं से आह्वान करना। साथ ही भारत की महामहिम “द्रौपदी मुर्मू” द्वारा जल स्रोतों के बचाव के लिए पारंपरिक उपायों का प्रयोग करने की बात करना महिला सशक्तिकरण(Mahila Sashaktikaran) से पर्यावरण सशक्तिकरण की मनोदशा को दर्शाता है। 

अंतरिक्ष के क्षेत्र में

  • भारत की कल्पना चावला हो या सिरिशा बोदला, जैसी महिलाओं ने अंतरिक्ष क्षेत्र में देश का नाम रौशन किया है। 
  • सऊदी अरब जैसे देश जहां धार्मिक कट्टरता के कारण महिलाओं को पर्याप्त अधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसे में वहाँ की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री रय्याना बरनावी ने न सिर्फ अपने  देश में बल्कि वैश्विक रूप से महिला सशक्तिकरण(Mahila Sashaktikaran) का एक ज्वलंत उदाहरण है। 
  • इसरो ( ISRO)का युविका मिशन हो या स्टेम (STEM) सबों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में महिलाओं के प्रोत्साहन के लिए अनन्य कार्य किए हैं। आज स्पेस टेक के क्षेत्र में विभिन्न घटक महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।  
  • नासा जैसे संगठन की महिला प्रमुख (भव्य लाल) होना वैश्विक रूप से महिलाओं की क्षमता व मनोदशा को प्रदर्शित करता है। 
निष्कर्ष

निष्कर्षतः कहा जाए तो महिला सशक्तिकरण(Mahila Sashaktikaran) महज सरकार की एक पहल मात्र नहीं बल्कि यह एक भावना है, साथ ही नागरिकों का कर्तव्य भी है। आज भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में राष्ट्रअध्यक्ष आदिवासी महिला का होना हमें गौरवान्वित महसूस कराता है। साथ ही इस दिशा में नीति निर्माताओं को और अधिक गुणवत्तापूर्ण नीति बनाने एवं उसका प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करने के लिए प्रेरित करता है। 

आज भारत ‘अमृतकाल’ के युग में प्रवेश कर चुका है तथा हम आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। परंतु विडंबना यह है कि आज भी समाज में कई कुरीतियाँ विधमान हैं, जैसे – कन्या भ्रूण हत्या पर कड़े कानून होने के बावजूद आज भी देश के कई हिस्सों में लड़कियों की हत्या कर दी जाती है।

यह कितना हास्यास्पद प्रतीत होता है, कि एक और जहां हम सर्वोच्च न्यायालय की महिला न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा या बी.वी. नागरत्ना के निर्णयों पर ऊपर जश्न मनाते हैं। वहीं दूसरी ओर जाति व्यवस्था, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसे विषयों पर अपनी चुप्पी साधे रहते हैं। इस दोहरी प्रवृत्ति को त्याग कर ही भारत विकसित अर्थव्यवस्था बन सकता है। जिसमें महिलाओं की भागीदारी उनके प्रतिनिधित्व के हिसाब से हो, जिससे हम अपनी पुरानी गौरवगाथा को पुनः प्राप्त कर सकें

 

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