औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई? Mains answer writing |

मेन्स उत्तर लेखन

प्रश्न

औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई? क्या कारण था कि औद्योगिक क्रांति ब्रिटेन में ही सर्वप्रथम शुरू हुई? इसने जीवन के गुणवत्ता को किस प्रकार प्रभावित किया? वर्तमान भारतीय शहरों के जीवन की गुणवत्ता से इसका क्या संबंध है?

उत्तर

औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई?

आदर्श रूप से, औद्योगिक क्रांति की शुरुआत 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुई, जब विभिन्न उद्योगों में मशीनों का प्रयोग और वैज्ञानिक नवाचारों ने उत्पादन की दृष्टि से महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया गया ।

इससे सैन्य, कृषि, और उद्योग में नवीनतम तकनीकी प्रगति और उत्पादन वृद्धि हुई। यह प्रक्रिया ब्रिटेन से शुरू होकर फिर यूरोप और दुनिया भर में फैली। 1780 से 1850 के दशक के बीच ब्रिटेन में उद्योग और अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को पहली औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है

औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई
औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई

औद्योगिक क्रांति क्या है?

औद्योगिक क्रांति से आशय है, कि उत्पादन के तरीकों में व्यापक बदलाव अर्थात मशीनों द्वारा उत्पादन, मशीनों के संचालन के लिए शक्ति का प्रयोग, कारखाने में उत्पादन तथा अत्यधिक मुनाफे को ध्यान में रखकर उत्पादन इत्यादि।

औद्योगिक क्रांति ब्रिटेन में ही सर्वप्रथम क्यों शुरू हुई?

औद्योगिक क्रांति मानव इतिहास में एक अभूतपूर्ण घटना मानी जाती है, जो कि सर्वप्रथम ब्रिटेन में ही घटित हुई। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं जैसे:-

  1. ब्रिटेन की आदर्श भौगोलिक स्थिति तथा प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता।
  2. पुनर्जागरण के काल में कृषि क्षेत्र में हुए नवीन विकास तथा पशुपालन, मत्स्य पालन आदि द्वारा निर्मित पूंजी का उपयोग औद्योगिक विकास के लिए करना।
  3. बेहतर परिवहन संसाधनों का विकास – सड़कों, नहरों तथा रेलों का तीव्र विकास।
  4. अनेक नवीन मशीनों तथा तकनीकों का विकास।
  5. पुनर्जागरण के समय समुद्र पारीय निगमों, ज्वाइंट स्टॉक कंपनियों, बीमा कंपनियों, बैंक तथा अनेक वित्तीय संस्थानों का उदय।
  6. ब्रिटेन द्वारा अनेक उपनिवेशों की स्थापना के कारण कच्चे संसाधन तथा बाजार की पर्याप्त उपलब्धता।

अतः उपरोक्त कारणों का ही मिश्रित परिणाम था जिसने सर्वप्रथम ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति को बल प्रदान किया। जिससे वहां के पूंजीपति वर्ग के लिए सकारात्मक परिणाम तो उत्पन्न हुए परंतु निम्न वर्ग के लोगों के लिए काफी नकारात्मक परिणाम देखने को मिलें। अर्थात इसने उनकी जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित किया जैसे:-

  1. अत्यधिक लाभ प्राप्त करने की इच्छा से पूंजीपतियों द्वारा श्रमिकों से काम के निश्चित घंटे तय किए बिना जी तोड़ मेहनत करायी जाती थी।
  2. औद्योगिक कचरे एवं धुएं से बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया, जिससे लोगों के जीवन प्रत्याशा में कमी आयी।
  3. अधिक से अधिक रोजगार सृजित होने के कारण ग्रामीण जनसंख्या का शहरों की ओर पलायन हुआ इससे शहरों में जनसंख्या दबाव अधिक बढ़ जाने के कारण लोगों को गंदी बस्तियों में छोटे-छोटे कमरों में रहने को मजबूर होना पड़ा जहां का परिवेश काफी प्रदूषित था।

वर्तमान भारतीय शहरों के जीवन की गुणवत्ता से औद्योगिक क्रांति का क्या संबंध है?

हालांकि ब्रिटेन के औद्योगीकरण को यदि वर्तमान भारतीय शहरों से जोड़कर देखा जाए तो इनमें काफी समानता नजर आती है। जैसे – ब्रिटिश औद्योगिक क्रांति की भांति भारत में भी वर्तमान में नए-नए उद्योगों की स्थापना ने लोगों के लिए नौकरियों के अवसर को काफी बढ़ा दिया है, जिससे भारी संख्या में ग्रामीण जनसंख्या शहरों की ओर आकर्षित हो रही हैं।

जिसके परिणाम स्वरूप शहरों पर जनसंख्या का दबाव काफी बढ़ गया है तथा भारत के कई बड़े महानगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर आदि में झुग्गी झोपड़ियों तथा स्लम एरिया का काफी तेजी से विकास हो रहा है। जिसने शहरों की मूलभूत संरचना जैसे – सड़क, सीवर आदि के निर्माण के विकास को बाधित किया है।
वर्तमान समय में भी उद्योगों से होने वाले प्रदूषण के कारण कई प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

निष्कर्ष:

अतः जिस प्रकार ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति ने लोगों को रोजगार तो प्रदान किया, जिससे वह अपना जीवन निर्वाह कर सके परंतु लोग गुणवत्ता परक जीवन से वंचित रह गए, ठीक उसी प्रकार आज भारत में भी शहरों में कई लोगों को रोजगार तो प्राप्त है हुए हैं परंतु लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि औद्योगिक क्रांति ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा तो दी परंतु लोगों को गुणवत्ता परक जीवन देने में यह पूर्णतः सफल नहीं हो पाई।

 

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