वो सपने जो भारत को सोने न दे – The dreams that don’t let India sleep / 2023

यह निबंध यूपीएससी(UPSC) की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए काफी महत्वपूर्ण है | जिसका शीर्षक है – वो सपने जो भारत को सोने न दे |

Table of Contents

वो सपने जो भारत को सोने न दे 

भारत एक ऐसा देश है जहां जाति, धर्म तथा सांस्कृतिक आधार पर पर्याप्त विविधता पाई जाती हैं परंतु इन विविधताओं के मध्य मौजूद मजबूत एकता के तत्व इन्हें आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं तथा एक अलग समाज, भारतीय समाज का निर्माण करती हैं|  अतः यहां विविध लोगों के सपने भी अलग-अलग होते हैं परंतु इन सपनों में निहित मूल तत्व एक ही होने के कारण यह सपना,”भारत का सपना” बन जाता है और  ये सपने हैं  भारत को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना और एक मजबूत तथा समृद्ध राष्ट्र के रूप में विश्व के समक्ष पेश करना है |

एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि-

         ‘’ सपने वो नहीं जो आपको नींद में आते हैं, बल्कि सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते’’

 शायद यही कारण है कि सरकार का भारत को विश्व शक्ति के रूप में देखने का सपना भारत को चैन से सोने नहीं देता तथा सरकार निरंतर इस सपने को पूरा करने की ओर अग्रसर है |  परंतु देखा जाए तो वर्तमान समय में सरकार के समक्ष कई चुनौतियां हैं जो इन सपनों को पूरा करने में बाधक है जैसे:-

वो सपने जो भारत को सोने न दे
वो सपने जो भारत को सोने न दे

महिला सुरक्षा-(WOMEN SAFETY)

आज समाज में महिला सुरक्षा एक चुनौती के रूप में विद्यमान है |  भारत में प्राचीन काल से ही महिलाओं को समाज में विशिष्ट आदर एवं सम्मान दिया जाता था जिसमें वैदिक काल से लेकर  मध्यकाल तक  महिलाओं की स्थिति में काफी गिरावट आई है परंतु आधुनिक काल में महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार भी आया और अभी भी यह सुधार का क्रम जारी है |  कहते हैं ना कि  ‘’जहां चाह वहां राह’’ ठीक है ऐसा ही एक मामला कुछ वर्ष पहले देखने को मिला जिसमें एक 35 वर्षीय महिला ‘’सायरा बानो’’ 15 वर्षों से तीन तलाक जैसी कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही थी और यह उनका पक्का इरादा ही था जिसने अंततः उन्हें जीत दिलाई |

वर्तमान समय में महिलाएं हर कार्यक्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं चाहे वह शिक्षा, खेल, रक्षा क्षेत्र,राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र या खुद का कारोबार हो परंतु यहां एक सबसे बड़ा मुद्दा सामने आता है और वह है महिलाओं की सुरक्षा का, पिछले कुछ समय से महिलाओं पर किए गए अत्याचार जैसे – ‘’लड़कियों पर तेजाब फेंकना, बलात्कार,  कार्यस्थल पर या किसी अपने द्वारा ही किया गया यौन उत्पीड़न, कन्या भ्रूण हत्या’’ जैसी वारदातों में काफी वृद्धि हुई है जिसके कारण समाज का हर वर्ग चिंतित है |  

महिला सुरक्षा को देखते हुए सरकार ने कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं जैसे  –
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओबालिकाओं को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए  योजना | 
    • सबला योजना – इस योजना का उद्देश्य​​ किशोर लड़कियों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना था | 
    • महिला समृद्धि योजना- महिलाओं में बचत की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के लिए |  
    • इंदिरा गांधी मातृत्व योजना इस योजना के अंतर्गत दूसरी संतान के जन्म पर गर्भवती महिला को छह हजार रुपए की राशि प्रदान की जाती है। 
    • स्टेप (STEP) – महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम  द्वारा सरकार महिलाओं को शिक्षित करने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है,
    • वन स्टॉप सेंटर योजना यह एक ऐसी व्यवस्था है जहां हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला मदद ले सकती है। जो महिला सशक्तिकरण की ओर एक सफल प्रयास है 
    • महिला हेल्पलाइन योजना 1091/1090 ये वुमंस हेल्पलाइन नंबर पूरे देश के लिए है। राज्यों ने अपने स्तर पर भी हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। जिन पर कॉल करके तुरंत मदद पाई जा सकती है।
    • निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) -इस फंड का मुख्य  उद्देश्य  रेप पीड़िताओं को आर्थिक मदद देना तथा महिलाओं के सुरक्षा से जुड़ी नई योजना नई योजनाएं शुरू करना था | 
    • नारी शक्ति पुरस्कार – विशेष रूप से कमजोर और हाशिए पर रहने वाली महिलाओं के लिए काम करने वाले व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित  किया  जाता है | 
    • वर्तमान समय में कई राज्य भी अपने स्तर पर महिला सशक्तिकरण के लिए अलग-अलग योजनाएं चला रहे हैं |
  • वो सपने जो भारत को सोने न दे
    वो सपने जो भारत को सोने न दे

सामाजिक सुरक्षा (Social Security):-

  •  गरीबी
  •  बेरोजगारी
  •  शिक्षा
  •  भ्रष्टाचार

> यदि हम सामाजिक सुरक्षा की बात करें तो भारत में गरीबी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है | एक ऐसा समय भी था जब भारत को एक समृद्ध देश के रूप में जाना जाता था अतः इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था परंतु अंग्रेजों द्वारा भारत से धन के अंधाधुंध दोहन ने यहां की स्थिति बदल कर रख दी थी जिसमें निरंतर सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है तथा समाज से गरीबी को कम करने के लिए नित्य  नई योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं |

फिर भी आज स्थिति यह है कि समाज के एक वर्ग के पास अथाह संपत्ति है, जिसमें भारत के लगभग 5% लोग ही आते हैं | वहीं  दूसरा वर्ग ऐसा है जिसे निरंतर भोजन, कपड़े, शिक्षा, मकान, दवाइयां इत्यादि जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है और इस गरीबी का सबसे मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी, अशिक्षा, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्या आदि हैं | 

> यदि हम शिक्षा की बात करें तो आज आजादी के बाद भी  साक्षरता देश में केवल 75 प्रतिशत तक ही पहुंच सकी है अर्थात निरक्षरता में कमी जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात में नहीं हो पायी है। हालांकि हाल के दशकों में शिक्षा प्रणाली में ढांचागत एवं नीतिगत स्तर पर काफी प्रगति हुई है परंतु आज भी शिक्षा व्यवस्था की मूलभूत समस्याओं को दूर नहीं किया जा सका है | 

शिक्षा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण समस्याएं इस प्रकार हैं:- 

  • पाठ्यक्रम में व्यावहारिकता की कमी | 
  • महंगी शिक्षा व्यवस्था | 
  • आधारभूत सुविधाओं में कमी | 
  • शिक्षा को अब एक व्यवसाय के रूप में देखा जाना | 
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव | 
  • नए शिक्षण संस्थानों  के विकास में कमी |  
  • शिक्षक तथा विद्यार्थियों में अनुशासन का अभाव इत्यादि |  

शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्य

  •  हाल ही में सरकार ने भारतीय शिक्षा नीति को तैयार करने के लिये ‘के. कस्तूरीरंगन समिति’ (K. Kasturirangan)का गठन किया| इसका प्रमुख कार्य भारतीय शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में सुधार करने, उसे समकालीन बनाने,  विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में प्रवेश तथा शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण जैसे कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोडमैप तैयार करना है | 
  • टी.आर. सुब्रह्मण्यम समिति’  का गठन  – इस समिति ने, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) का उन्मूलन, शिक्षा क्षेत्र के लिये एक नया सिविल सर्विस कैडर बनाने, कक्षा-V तक  निरोधक नीति (no-detention policy) जारी रखना और प्राथमिक विद्यालय स्तर पर अंग्रेज़ी की शिक्षा देने जैसे कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये ।
  •  इसके साथ ही शिक्षा में समग्र विकास के लिए सरकार द्वारा शिक्षा के खर्च को बढ़ाया जा रहा है,  इस क्षेत्र में ढांचागत विकास हेतु ‘पीपीपी’ मॉडल को अपनाया जा रहा है साथ ही समावेशी शिक्षा नीति का निर्माण किया जा रहा है तथा सरकार द्वारा शिक्षकों को प्रशिक्षण की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जा रही है ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके |

 

(वो सपने जो भारत को सोने न दे)

सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी अन्य समस्याएं(Other Social Security Issues)-

देखा जाए तो हर एक समस्या एक दूसरे से अंतर संबंधित है, जैसे भारत की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, बेरोजगारी का मुख्य कारण है क्योंकि जिस अनुपात में जनसंख्या में वृद्धि हो रही है रोजगार का सृजन उस अनुपात में नहीं हो पा रहा तथा इससे निपटने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं | जैसे –

  • मनरेगा के माध्यम से मजदूर वर्ग को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है |
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से लोगों को बैंक खाता खुलवा कर तथा सुरक्षा बीमा जैसी योजनाओं के माध्यम से वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है |
  • स्किल इंडिया के माध्यम से हर नौजवान को रोजगार दिलाने तथा मेक इन इंडिया के माध्यम से सरकार उद्योगों को भारत में लाकर रोजगार के अवसर को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है |परंतु इन सभी कार्यक्रमों में लिप्त भ्रष्टाचार के कारण सरकार के समक्ष चिंताएं बनी हुई हैं |  

 

 

(वो सपने जो भारत को सोने न दे)

आर्थिक विकास (Economic Development)-

आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है | हालांकि भारत में गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद यह विश्व की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है | महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने के उद्देश्य भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्मूलन और रोजगार उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं | देखा जाए तो आज आर्थिक विकास के लिए कृषि, सेवा तथा औद्योगिक क्षेत्र का विकास होना अति आवश्यक है |

कृषि क्षेत्र (Agricultural Sector)-

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जिससे न केवल देश के अधिकांश जनसंख्या के खाद आपूर्ति होती है बल्कि देश का लगभग 65% आबादी रोजगार के लिए प्रत्यक्ष रूप से इसी पर निर्भर है | आज कृषि क्षेत्र की दयनीय स्थिति को देखते हुए विभिन्न नीतिगत उपायों द्वारा कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है |

सेवा क्षेत्र (Service Sector)-

 यदि सेवा क्षेत्र में देखा जाए तो देश में जीडीपी में लगभग 53.66% हिस्सा अकेले सेवा क्षेत्र का है परंतु यहां भी विदेशी कंपनियों का वर्चस्व है अर्थात सेवा क्षेत्र में भारत की कंपनियों का योगदान बहुत ही कम या कहें तो नगण्य है |

औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Sector)-

 अगर हम औद्योगिक क्षेत्र की बात करते हैं तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है जो कि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है| इसे देखते हुए सरकार ने अपनी औद्योगिक नीतियों को उदार बनाते हुए कई क्षेत्रों में  100% एफडीआई की अनुमति दे दी, साथ ही SEZ, NIMZ जैसे आर्थिक क्षेत्र तथा स्मार्ट सिटी का विकास करके निवेशकों को लुभाने का प्रयास कर रही है |

आर्थिक विकास के लिए नीति आयोग ‘’तीन वर्षीय कार्रवाई एजेंडा (Three Year Action Agenda)’  जैसे कार्यक्रम का निर्माण तथा निर्यात क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए  निर्यात आधारित योजनाओं के विकास का भी प्रस्ताव समय-समय पर लाती रहती है |

(वो सपने जो भारत को सोने न दे)

आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद (Terrorism, Naxalism, Separatism):-

आतंकवाद (Terrorism)-

आज पूरे विश्व के लिए आतंकवाद एक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुका है | यह एक वैश्विक समस्या है जिससे सभी राष्ट्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं यह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सदैव हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेते हैं इनके निशाने पर हमेशा देश का  एक आम नागरिक  रहता है |

भारत में सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद की है आतंकवादी भारत को हमेशा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा मानसिक क्षति पहुंचाने की कोशिश  करते रहते हैं | जिसका सबसे बड़ा उदाहरण 26 /11 हमला मुंबई बम धमाका, पठानकोट हमला आदि हैं |

नक्सलवाद (Naxalism)-

आतंकवाद के साथ-साथ नक्सलवाद भी है जो भारत के आंतरिक भागों में आतंकवाद की भांति ही चुनौती बनी हुई है | नक्सलवाद  समाज के पिछड़े वर्ग खासकर आदिवासी वर्ग का सरकार के प्रति उदासीनता तथा  सरकारी योजनाओं का लाभ न उठा पाना और खुद को  समाज की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाने का परिणाम है |

अलगाववाद (Separatism)-

अलगाववाद, आज कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या है | यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें क्षेत्रीय शक्तियां इतनी उग्र हो जाती हैं कि वह अपने लिए एक अलग राष्ट्र की मांग करने लगती हैं |अतः इन चुनौतियों के होते हुए भारत का चैन से सोना नामुमकिन सा लगता है | 

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(वो सपने जो भारत को सोने न दे)

रक्षा क्षेत्र (Defense sector)-

अनेक सपनों में भारत का यह भी एक सपना है कि अपने पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण तथा सह अस्तित्व के साथ रहे | भारत हमेशा युद्ध के खिलाफ रहा है और इसकी ‘’नो फर्स्ट यूज़ पॉलिसी’’ इस बात का प्रमाण है | देखा जाए तो वर्तमान समय में सीमा विवाद, हथियार की  पर्याप्त उपलब्धता, निगरानी उपग्रहों की उपलब्धता तथा सेना बलों को आधुनिक बनाना भारत के लिए एक चुनौती बनी हुई है | 

 हालांकि भारत रक्षा क्षेत्र में काफी तेजी से प्रगति कर रहा है परंतु भारत की स्थलाकृतिक एवं भौगोलिक विविधता, खासकर इसकी लगभग 15,000 किमी लंबी सीमा जो सात पड़ोसी देशों से जुड़ी हुई है, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र को काफी खर्चीला बना देती है | भारत के कई राज्यों की सीमा अलग-अलग देशों की सीमा के साथ लगती है जिसमें से कुछ सीमाएं शांत हैं तथा कुछ अशांत जिसका उदाहरण – चीन के साथ डोकलाम विवाद तथा चीन के साथ लगने वाले अन्य सीमाओं के साथ विवाद और पाकिस्तान के साथ तो सीमा विवाद आजादी के समय से ही चली आ रही है |

भारत को अपनी सीमाओं तथा आंतरिक सुरक्षा को देखते हुए काफी संख्या में हथियारों का आयात विदेशों से करना पड़ता है साथ ही साथ युद्ध के समय तथा दुश्मनों के ठिकानों का पता लगाने के लिए निगरानी उपग्रहों की भूमिका को देखते हुए इसरो (Indian Space Research Organization, ISRO)  द्वारा समय-समय पर निगरानी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाता है परंतु इस दिशा में और भी काफी ज्यादा सुधार की आवश्यकता है |अतः रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का सपना भारत को चैन से सोने नहीं देता |

(वो सपने जो भारत को सोने न दे)

 निष्कर्ष (Conclusion)-

उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान भारत के सपने काफी महत्वाकांक्षी के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी हैं | परंतु आज सरकार इतनी सक्षम है कि इन चुनौतियों से निपट सके चाहे वह महिला सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, रक्षा क्षेत्र, आर्थिक विकास तथा आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा ही क्यों ना हो |

कहते हैं ना कि ‘’इंतजार करने वाले सिर्फ उतना ही पाते हैं जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं’’|

अतः भारत इंतजार नहीं कोशिश करने में भरोसा रखता है तथा अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत है | जैसे यदि हम वर्तमान सरकार की विदेश नीति को देखें तो आज उसी का परिणाम है कि अमेरिका और जापान जैसे महा शक्तिशाली देश हमारी समस्याओं चाहे वह सीमा विवाद हो, आतंकवाद से जुड़ी समस्या हो या किसी वैश्विक संगठन में  भारत की सदस्यता से जुड़ा मामला इन सभी में हमारे साथ खड़े हैं उनका हमारे पक्ष में समर्थन हमें राजनीतिक मजबूती प्रदान करता है |

 2023  में G20 शिखर सम्मेलन की अगुवाई करना इस बात का प्रमाण है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो रहा है | इतने महत्वाकांक्षी सपनों के साथ भारत के लिए मुमकिन नहीं है मुमकिन नहीं है | अतः यही वो सपने हैं जो भारत को चैन से सोने नहीं देते | (वो सपने जो भारत को सोने न दे)

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