अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नजर रखती है, और उन्हें आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करती है। वर्त्तमान में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में 190 सदस्य देश शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना 22 जुलाई 1944 में संयुक्त राज्य के ‘न्यू हैम्पशायर’ में संयुक्त राष्ट्र मुद्रा एवं वित्त सम्मेलन में एक समझौते के अंतर्गत की गई थी, जिसे “ब्रेटन वुड्स समझौते” के नाम से भी जाना जाता है। यह समझौते 27 दिसंबर 1945 से प्रभावित हुआ तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 1 मार्च 1947 से अपना कार्य प्रारंभ किया। संयुक्त राष्ट्र के साथ इसके संबंध परस्पर सहयोग के समझौते के अनुसार निर्धारित है जो 15 नवंबर 1947 को लागू हुआ था।
यह देशों के लिए सतत विकास और समृद्धि प्राप्त करने के लिए काम करता है। IMF ऐसी आर्थिक नीतियों का समर्थन करता है जो वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देती हैं, और जो उत्पादकता, रोजगार सृजन और आर्थिक कल्याण को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं।
1 मार्च 1947 को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्यों की संख्या 40 थी, जो वर्तमान में बढ़कर 190 हो गई है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख उद्देश्य
आईएमएफ के अनुच्छेदों में प्रथम संशोधन 28 जुलाई 1969 को हुआ था जिसमें विशेष आहरण अधिकारों (एस.डी.आर.) का प्रावधान रखा गया था। दूसरा संशोधन 1अप्रैल 1978 को लागू हुआ। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:-
- मुद्रा संबंधी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में परामर्श और सहयोग के लिए तंत्र उपलब्ध कराकर विश्व स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापर के संतुलित विकास को बढ़ावा देने में मदद करना और उत्पादक क्षमता के विकास में योगदान करना।
- विनिमय स्थिरता और व्यवस्थित विनिमय प्रबंध को बढ़ावा देना और प्रतिस्पर्धात्मक विनिमय अवमूल्यन से बचाने के उपाय करना।
- चालू लेनदेन के लिए बहुराष्ट्रीय भुगतान और हस्तांतरण प्रणाली को मजबूत करना तथा विदेशी मुद्रा प्रतिबंधों को समाप्त करने के प्रयास करना, जो विश्व व्यापार के विकास में रुकावट डालते हैं।
- मुद्रा कोष के सामान्य संसाधनों को समुचित सुरक्षा के अंतर्गत अस्थायी तौर पर सदस्य देशों को उपलब्ध कराना, ताकि वे राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय समृद्धि को क्षति पंहुचाए बिना ही अपने भुगतान संतुलन की कठिनाइयों को दूर कर सकें।
- भुगतान असंतुलन की अवधि और मात्रा को कम करना।
संक्षेप में, आईएमएफ (IMF) का उद्देश्य एक ऐसी प्रणाली का विकास करना है, जिससे सदस्य देशों को विदेशी विनिमय की सुविधा हो, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिले और सदस्य देशों की आर्थिक उन्नति हो सके।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का एक महत्वपूर्ण विभाग आईएमएफ संस्थान है जो सदस्य राज्यों के अधिकारियों को वृहत अर्थशास्त्र नीति एवं विश्लेषण के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस संस्थान के प्रशिक्षण केंद्र विश्व में कई स्थानों पर स्थापित किए गए हैं जो क्षेत्रीय स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करते हैं।
प्रशासन
- जब से आईएमएफ (IMF) को स्थापित किया गया है तब से इसके उद्देश्य नहीं बदले हैं, परंतु इसके प्रचलन जिनमें निगरानी, वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता शामिल है, विकासोन्मुखी वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसके सदस्य देशों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित किये गए हैं
- कोष के प्रबंधन के लिए प्रशासक मंडल है, जो साधारण सभा का कार्य करता है।
- कोष के प्रतिनिधि के कार्य संचालन हेतु एक प्रबंधक मंडल होता है जिसका अध्यक्ष प्रबंध निदेशक होता है।
- इस मंडल में काम से कम 24 सदस्यों का होना आवश्यक है जिनमें से पांच स्थाई और शेष अस्थाई होते हैं।
- आईएमएफ के बोर्ड ऑफ गवर्नर में एक गवर्नर और प्रत्येक सदस्य में से एक वैकल्पिक गवर्नर शामिल है।
- विधान के अनुसार कोष का प्रधान कार्यालय उसी देश में रहेगा जिसका कोष सबसे अधिक हो। इस समय अमेरिका का कोष सबसे अधिक होने के कारण आईएमएफ का प्रधान कार्यालय “वाशिंगटन डी.सी.” में ही रखा गया है।
- इसके विषय में अन्य कार्यालय पेरिस, जिनेवा और टोक्यो में है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कार्य
आईएमएफ (IMF) के प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
वित्तीय सहायता: यह भुगतान संतुलन की समस्याओं से जूझ रहे अपने सदस्य देशों को वित्तीय सहयोग अर्थात आर्थिक विकास और स्थिरता को बहाल करने के लिए विभिन्न ऋण प्रदान करता है।
IMF निगरानी तंत्र: आईएमएफ अपने प्रत्येक सदस्य देश के आर्थिक और वित्तीय विकास की काफी बारीकी से निगरानी करता है और नियमित आधार पर सदस्य देश के साथ नीतिगत चर्चा करता है।
क्षमता विकास: यह वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देने, वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करने, बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने, उच्च रोजगार और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और विश्व भर में गरीबी को कम करने के लिए काम करता है।
भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का सदस्य कब बना?
- भारत को 27 दिसंबर, 1945 में आईएमएफ में शामिल किया गया।
- भारत के “रघुराम राजन” आईएमएफ (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं।
- पूर्व में भारत के डॉक्टर चिंतामणि देशमुख संगठन के प्रबंध निदेशक रह चुके हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) बनाम विश्व बैंक
यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक एक-दूसरे की पूरक संस्थाएं हैं, किंतु दोनों संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता में मौलिक एवं सैद्धांतिक रूप से अंतर है। आईएमएफ (IMF) द्वारा सदस्य देशों को भुगतान शेष की प्रतिकूलता को दूर करने के लिएअल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं, जबकि विश्व बैंक द्वारा सदस्य राष्ट्रों में संतुलित आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं।
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FAQ
Q.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मुख्यालय कहां पर है?
Ans-आईएमएफ (IMF) का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के “वाशिंगटन डी.सी.” में स्थित है।
Q.अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कितने सदस्य हैं?
Ans-आईएमएफ (IMF) संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख वित्तीय एजेंसी है, जिसमें 190 देश शामिल हैं।
Q.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना कब हुई थी?
Ans-“22 जुलाई 1944” में आईएमएफ की स्थापना संयुक्त राज्य के ‘न्यू हैम्पशायर’ में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में हुई थी। इसने 1 मार्च1947से अपना कार्य प्रारंभ किया।
Q.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य
- अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को आगे बढ़ाना।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक विकास के विस्तार को प्रोत्साहित करना और समृद्धि को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियों को हतोत्साहित करना।
- विनिमय दरों के निर्धारण और पूंजी की आवाजाही के लिए संस्थागत ढांचा प्रदान करना।
- वैश्विक गरीबी को दूर करना।