मेन्स उत्तर लेखन
प्रश्न
सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन के मुख्य लक्षणों का परीक्षण कीजिए। आधुनिक नगर नियोजन में ये लक्षण कहाँ तक पाये जाते हैं। (63rd B.P.S.C)
उत्तर (Model Answer)
सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन
सिंधु घाटी सभ्यता भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता थी। यह एक कस्ययुगीन नगरीय सभ्यता थी, जिसका विकास भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ था। सिंधु घाटी सभ्यता की तत्कालीन सभ्यताओं जैसे – मिस्र (नील नदी के किनारे स्थित), मेसोपोटामिया (दजला – फरात नदी) तथा चीन (वांग हो नदी) में से व्यवस्थित नगरीकरण के साक्ष्य सिंधु सभ्यता से ही प्राप्त हुए हैं।
यह सभ्यता त्रिभुजाकार स्वरूप में लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई थी। जो पूर्व में ‘आलमगीरपुर’ (उत्तर प्रदेश) और पश्चिम में ‘सुत्कागेंडोर’ (पाकिस्तान), उत्तर में ‘मांडा’ (जम्मू कश्मीर), तथा दक्षिण में ‘दैमाबाद’ (महाराष्ट्र) तक, फैली हुई थी।
सिंधु घाटी सभ्यता में सड़क
- सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषता उसकी सड़के थीं। यहां की मुख्य सड़क लगभग 9.15 मीटर चौड़ी थी जिसे पुराविदों ने राजपथ कहा है। अन्य सड़कों की चौड़ाई लगभग 2.75 से 3.66 मीटर तक थी।
- ग्रिड पद्धति अर्थात् जाल पद्धति के आधार पर नगर नियोजन होने के कारण सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर कटती थी, जिससे नगर आयताकार खंडों में विभाजित होती थी। सड़क मुख्यतः तीन भागों में बटां हुआ था।
1. मुख्य सड़क
2. सहायक सड़क
3. गली - सड़कें मिट्टी की बानी थीं एवं इनके सफाई की समुचित व्यवस्था थी। कूड़ा इकट्ठा करने हेतु कुछ अंतराल पर गड्ढे खोदे जाते थें अथवा कूड़ेदान की भी व्यवस्था थी।
- सड़कों के किनारे चबूतरे बने थें संभवतः इन चबूतरे पर बैठ कर दुकानदार अपने वस्तुओं की बिक्री करते थें।
सिंधु घाटी सभ्यता में नगर विन्यास
- इस सभ्यता के नगर दो भागों में बंटे हुए थें। पहला, पूर्वी भाग (दुर्गा निर्मित) तथा दूसरा, पश्चिमी भाग जिसमे निचली बस्ती स्थित थी।
- पूर्वी भाग में शासक वर्ग निवास करते थे जबकि पश्चिमी भाग में व्यापारी, शिल्पकार आदि निवास करते थें।
- धौलावीरा एक मात्र ऐसा नगर है जहां से नगर के तीन भाग में बंटे होने का साक्ष्य मिलता है।
सिंधु घाटी सभ्यता में भवन निर्माण
- आमतौर पर प्रत्येक घर में दो मंजिलें होते थे। जिसमें एक आंगन, एक रसोईघर और एक स्नानागार होता था, जो कि वर्त्तमान समय में भी देखने को मिलता है।
- प्रत्येक घर के दरवाजे तथा खिड़कियां गलियों में खुलते थें। जिससे धुल-कण घर में प्रवेश न करे।
- भवन सामान्यतः पक्की ईंटों के बने होते थे, जिसके लंबाई, चौड़ाई तथा मोटाई का अनुपात 4:2:1 था (कालीबंगा एवं रंगपुर को छोड़कर)
सिंधु घाटी सभ्यता में जल निकासी व्यवस्था
- प्रत्येक घर से नालियाँ निकलती थीं जो मुख्य सड़क पर बने मैनहोल से जाकर मिल जाती थीं।
- सड़क किनारे मुख्य नालियाँ ऊपर से ढकी हुई होती थीं।
- ए.एल.वाशम के अनुसार इस प्रकार की जल निकासी व्यवस्था उस समय की तत्कालीन अन्य सभ्यताओं में विकसित नहीं था।
सिंधु घाटी सभ्यता में अन्नागार
- इस सभ्यता के प्रत्येक नगर से अन्नागार प्राप्त हुए हैं, जो सिंधु सभ्यता के दौरान कृषि अधिशेष को दर्शाता है।
- अन्नागारों का प्रयोग आपातकाल के दौरान होता था।
- मोहनजोदड़ो से विशाल अन्नागार (55 x 37 मीटर) तथा हड़प्पा से 6-6 की कतार में 12 अन्नागार के साक्ष्य मिले हैं।
नदियों के किनारे बसे नगर
इस सभ्यता के अधिकांश नगर नदियों के किनारे बसे हुए थें, जिसके माध्यम से यातायात, व्यापार तथा सिचाई का कार्य होता था। उदाहरण स्वरुप:
नगर |
नदी |
हड़प्पा |
रावी |
मोहनजोदड़ो |
सिंधु |
कालीबंगन |
घग्घर |
लोथल |
भोगवा |
धौलावीरा |
लुनी |
चन्हूदड़ो |
सिंधु |
कोटदीजी |
सिंधु |
रंगपुर |
मादर |
नगर के नदियों के किनारे बसे होने के कारण जलमार्ग के द्वारा व्यापार-वाणिज्य होता था, तथा सिंचाई कार्य के लिए आसानी से जल की उपलब्धता हो जाती थी।
कुआँ
मोहनजोदड़ो के प्रत्येक मकान से कुआँ के साक्ष्य मिलते हैं।
आधुनिक नगर नियोजन से समानता
सड़क
- सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन के आधार पर आज फोरलेन, राजकीय पथ का निर्माण किया जाता है, जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।
- इससे सड़क दुर्घटना कम होने की संभावना रहती है, क्योंकि इस प्रकार के सड़कों पर सामने से आने वाली बहनों पर ध्यान रखने में आसानी होती है।
भवन
- सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन के भवन निर्माण का मॉडल आधुनिक समय के भवन निर्माण में हो रहा है। जैसे – खिड़कियाँ, दरवाजें तथा वेंटिलेटर आदि को मुख्य सड़क से अलग रखा जाता है ताकि प्रदूषित हवा घर में प्रवेश न कर सके।
नदियों के किनारे बसे नगर
- सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन से प्रभावित आज भी विश्व के अधिकांश नगर नदियों के किनारे बसाए गए हैं।
- इससे जल की आपूर्ति आवागमन का साधन तथा व्यापार करना आसान हो जाता है। जैसे “रोम” टाइबर नदी के किनारे, “पेरिस” सीन नदी के किनारे आदि।
ड्रेनेज सिस्टम
- आधुनिक नगर नियोजन में ड्रेनेज सिस्टम सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन की प्रेरणा से आधारित लगते है।
- इसके अतिरिक्त वर्त्तमान समय में शौचालय, कोल्ड स्टोरेज, वॉटर टैंक आदि को भी सिंधु सभ्यता से प्रेरित माना जा सकता है।
निष्कर्ष
कहा जा सकता है कि, सिंधु सभ्यता प्राचीन विश्व की समस्त सभ्यताओं में से अपनी नगर नियोजन के लिए विशिष्ट थी। अर्थात सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन की बात की जाए तो, प्राचीन समय में इतनी आधुनिक मशीनें न होने के बावजूद भी इतनी विकसित नगर नियोजन प्रणाली किसी आश्चर्य से काम नहीं है। जिससे प्रेरित होकर आधुनिक स्मार्ट सिटी/स्मार्ट नगर तथा स्मार्ट विलेज को आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।