निबंध – केवल ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है।

“केवल ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है’’

“The darkness of the human mind can be dispelled only by the light of knowledge” – Raja Ram Mohan Roy

“राजा राममोहन” राय के उपरोक्त उदाहरण को हम राष्ट्रकवि “श्री रामधारी सिंह दिनकर” जी की इस कविता से समझ सकते हैं। जो इस प्रकार है:-

‘नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अंतर्मन
तब सुख के मिले समंदर को
रह जाता कोई अर्थ नहीं’,

मनकटु वाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाये,
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं,

सुख-साधन चाहे जितने हो
पर काया रोगों का घर हो,
फिर उन अनगिनत सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

उपरोक्त पंक्तियाँ इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि “केवल ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है।” हालांकि इसको बेहतर ढंग से समझने के लिए हमें विभिन्न आयामों को देखना होगा तभी जाकर हम एक बेहतर निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं, इसके लिए हमें सबसे पहले ज्ञान को जानना होगा कि आखिरकार ज्ञान है क्या? और यह मानव मन के अंधकार को कैसे दूर कर सकता है?

ज्ञान क्या है?

ज्ञान एक प्रकार की मनोदशा है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो जो वास्तु या वयक्ति जिस रूप में है उसे उसी रूप में स्वाकीर या अनुभव करना ही पूर्ण ज्ञान है। ज्ञान प्राप्ति के लिए एक व्यक्ति के भीतर चिंतन, मनन, विचारों की अभिव्यक्ति तथा अनुभव प्राप्त करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए।

जेएच शेरा के अनुसार – “विज्ञान बौद्धिक पद्धति द्वारा निष्पादित प्रक्रिया का परिणाम है।”

केवल ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को कैसे दूर किया जा सकता है?

अब प्रश्न यह है कि केवल ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को कैसे दूर किया जा सकता है?

ऐतिहासिक परिदृश्य:

यदि हम इतिहास में ज्ञान की बात करें तो हम पाएंगे कि ज्ञान/बुद्धि की कमी के कारण ही अंग्रेजों ने हम पर लगभग 200 वर्षों तक राज किया। साथ ही फूट डालो और राज करो की नीति को अपनाते हुए देशवासियों को एक-दूसरे से लड़वाने का भी काम कर किया।

परंतु जैसे-जैसे लोगों में समझ विकसित हुई अर्थात बौद्धिक क्षमता का विकास हुआ वैसे-वैसे लोगों ने अपने लिए आवाज़ उठाना शुरू किया। 1857 का विद्रोह भी इसी का परिणाम था और अंततः भारतीय खुद को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने में सफल रहें। अतः हम कह सकते हैं कि ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है।’’

वर्त्तमान परिदृश्य:

यदि वर्त्तमान परिदृश्य में बात की जाए तो इसे जानने एवं समझने के लिए हम हाल ही में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के पेरारिवलन केस के निर्णय से समझ सकते हैं।

पेरारिवलन, राजीव गांधी के हत्या का एक अभियुक्त था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत दोषमुक्त कर दिया और कहा कि पिछले 30 वर्षों में पेरारिवलन को न्याय मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। जो अनुच्छेद 21 के तहत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है साथ ही यह कंप्लीट जस्टिस के विरुद्ध भी है, और समाज के सभी वर्गों का इस अक्टूबर पर अटूट विश्वास है। ऐसे में यह निर्णय संविधान के आदर्श के अनुकूल है।

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गया इस निर्णय ने न केवल मानव के मन के अंधकार को दूर किया, बल्कि इस बात की भी पुष्टि की कि केवल ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है।

आर्थिक तथा पर्यावरणीय परिदृश्य:

यदि हम वर्तमान परिदृश्य में देखें तो संपूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, हीट वेव्स, मुद्रास्फीति, राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद, साइबर अटैक आदि समस्याओं से जूझ रहा है। जिसका खामियाजा हम गरीबी,बेरोजगारी, भुखमरी, प्रदूषण, जल संकट, आर्थिक असमानता, लिंग असमानता के रूप में भुगत रहे हैं।

जिससे न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई बल्कि जीडीपी ग्रोथ भी प्रभावित हुआ। इन तमाम समस्याओं को हम केवल ज्ञान की ज्योति के अंधकार आधार पर ही दूर कर सकते हैं।

उदाहरण स्वरूप भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने जा रही है, जो न केवल भारत को इंपोर्टेड इन्फ्लेशन से बचाएगा बल्कि आर्थिक समृद्धि जो नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है उसको काम करेगी साथ ही रोजगार का सृजन करेगी जिससे गरीबी और बेरोजगारी की समस्या को कम किया जा सकेगा। आरबीआई का यह कदम भी इस बात की पुष्टि करता है कि ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है।

अभी हाल ही में जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण पारिस्थितिकीय पर इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) की रिपोर्ट का निष्कर्ष कहता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत का खाद उत्पादन 16% तक गिर सकती है और 2030 तक भूख 23% तक बढ़ सकती है।

ऐसे में भारत 2030 तक SDG-1 : नो पावर्टी, SDG-2 : जीरो हंगर, SDG-3 : गुड हेल्थ एंड वेल विइंग, SDG-4 : क्वालिटी एजुकेशन, SDG-5 : जेंडर इक्वलिटी आदि लक्षण की प्राप्ति, उसके लिए दूर के ढोल सुहावन होते हैं जैसा प्रतीत होगा।

ऐसे में भारत इस अंधकार को केवल अपने ज्ञानके माध्यम से दूर कर सकता है। इसलिए भारत ने अपने नेशनल बायोफ्यूल पॉलिसी 2018 में संशोधन करते हुए पेट्रोल डीजल में 20% एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य 2030 से घटकर 2025 कर लिया।

इतना ही नहीं भारत अपने पंचामृत (COP – 24) लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं जो इस प्रकार है:-
1. नेशनल इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी,
2. हाइड्रोजन नीति,
3. जैविक फार्मिंग,
4. शून्य जुताई कृषि,
5. अवशेष मुक्त कृषि,
6. रिन्यूएबल एनर्जी को प्रमोट करना,
8. कार्बन फार्मिंग आदि।

हालांकि अवशेष मुक्त कृषि और कार्बन कृषि पर विचार किया जा रहा है। अवशेष मुक्त कृषि को महाराष्ट्र में ‘स्मार्ट स्कीम (SMART)’ के नाम से शुरू कर दिया है, जबकि कार्बन कृषि पर कानून लाने वाला मेघालय, भारत का पहला राज्य होगा। इससे SDG लक्ष्यों की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है।

ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है
ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है।

यदि हम इस पाई चार्ट को देखें तो संपूर्ण विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा पेटेंट पर लगभग 67% अधिकार केवल चार देशों का है, जबकि बाकी बचे देश का मंत्र 33 % है जो यह दर्शाता है कि यह वितरण न्याय के विरुद्ध है। संसाधनों का प्रबंधन युक्तियुक्त होना चाहिए। इसके लिए हमें पेटेंट पुलिंग के कांसेप्ट को बढ़ावा देना होगा। और यह तभी संभव है जब मानव मन के अंधकार को दूर किया जाए और यह केवल ज्ञान की ज्योति द्वारा ही किया जा सकता है।

सामाजिक परिदृश्य:

अभी हाल ही में भारतीय समाज पर एक सर्वे कराया गया है। यदि सर्वे का निष्कर्ष देखे तो पता चलता है कि पूरे भारत में अधिकतर महिलाएं पुत्र प्राप्ति की चाह रखती हैं जबकि बहुत कम महिलाएं ऐसी हैं, जो पुत्री की चाह रखती हैं। उदाहरण स्वरूप बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड एवं राजस्थान जैसे राज्यों में पुत्र की चाहत अधिक है और इन राज्यों में लिंगानुपात भी काम है जबकि मेघालय राज्य इसका अपवाद है जहां की महिलाएं बेटियों को प्राथमिकता देती हैं।

इस बात की पुष्टि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे राउंड 5 भी करता है। ऐसे में SDG संख्या – 5 : जेंडर इक्वलिटी की प्राप्ति करनी है तो संपूर्ण भारत की महिलाओं को मेघालय राज्य की महिलाओं की तरह सोच रखनी होगी और यह तभी संभव है जब संपूर्ण भारत की महिलाएं अपने मन के अंधकार को दूर कर महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ें।

अब समय आ गया है कि हम अपने मानव मन के अंधकार को केवल ज्ञान की ज्योति से ही दूर कर सकते हैं। किसी भी देश की सरकार चाहे जितना प्रयास कर ले, जब तक की वहां के नागरिक अपने मन रूपी अंधकार को अपने ज्ञान अर्थात अपने सोच, विचार एवं प्रामाणिकता के आधार पर निर्णय नहीं लेंगे तब तक वह इस अंधकार में फंसे रहेंगे। उन्हें सही-गलत, उचित-अनुचित, पाप-पुण्य, अच्छा-बुरा में फर्क नजर नहीं आएगा।

प्रमाण है-अप्रैल, 2013 में मध्य प्रदेश में 4 साल की बच्ची के साथ रेप करने वाले दोषी को न्यायमूर्ति ललित जी ने मृत्यु और आजीवन कारावास को बदलकर 20 साल की कारावास में तब्दील कर दिया। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ‘बचन सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब’ केस 1980 में दिए गए निर्णय रेयरेस्ट ऑफ द रेयरेस्ट के आदर्श का उल्लंघन माना है।

वैश्विक परिदृश्य:

दूसरी तरफ हम वैश्विक परिदृश्य में देखें तो संयुक्त अरब अमीरात ने अपने मन रूपी अंधकार को दूर करने के लिए वह केवल ज्ञान रूपी ज्योति का सहारा लिया। उन्हें एहसास हुआ कि यदि किसी देश की आर्थिक प्रगति करनी है तो उस देश की महिलाओं को बराबरी का अधिकार देना होगा तभी वह देश प्रगति कर सकता है। संयुक्त अरब अमीरात के दूतावास में 50 % कर्मचारी महिलाएं हैं।

निष्कर्ष:

उपरोक्त विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि केवल ज्ञान रूपी ज्योति द्वारा ही मानव के अंधकार को दूर किया जाता है जा सकता है। संपूर्ण विश्व में कोई भी ऐसी समस्या नहीं है जिसका निराकरण नहीं किया जा सकता बशर्ते हम एक बेहतर संतुलन की आवश्यकता है। इसकी पूर्ति हम ज्ञान के द्वारा कर सकते हैं प्रत्येक को समझना होगा की शक्ति की इच्छा सबके अंदर विद्यमान होती है, लेकिन विवेकशीलता और नैतिकता कर्तव्य के सिद्धांतों से उसे साधित और निर्देशित किया जा सकता है।

“गांधी जी” ने इस बात की पुष्टि की है कि “पृथ्वी सभी व्यक्तियों का भरण पोषण कर सकती है, सिवाय एक लालची व्यक्ति के।“ और अंत में अपने ज्ञान की ज्योति द्वारा ही मानव मन के अंधकार को दूर किया जा सकता है, इसके लिए कुछ पंक्तियां समर्पण है। जो इस प्रकार हैं:-
“कुछ करना है तो डटकर चल
थोड़ा दुनिया से है हटकर चल
लिक पर तो सभी चल लेते हैं
कभी इतिहास को पलटकर चल,
बिना काम के मुकाम कैसा
बिना मेहनत के डैम कैसा,
सोच मत साकार कर
अपने कर्मों से प्यार कर।“

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