“चिंतन एक तरह का खेल है, यह तब तक प्रारंभ नहीं होता, जब तकएक विरोधी पक्ष न हो।”
चिंतन, किसी विषय वस्तु पर गहन अध्ययन एवं मनन करने की एक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से व्यक्ति परिवार, समाज एवं देश के लिए सही निर्णय ले सकता है। जिससे अधिकतम कल्याण एवं सामाजिक,आर्थिक न्याय करके देश समृद्धि के मार्ग को प्राप्त कर सकता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ‘चिंतन एक तरह का खेल है’ जिसमें खिलाड़ी मैदान में उतरने से पहले अनगिनत अभ्यास करता है ताकि विरोधी पार्टी को खेल के मैदान में एक रणनीति के तहत पराजित कर सके। ठीक उसी प्रकार चिंतन भी है, यह तब तक प्रारंभ नहीं होता है जब तक एक विरोधी पक्ष न हो।
उदाहरण के तौर पर इन दिनों हमारे देश में ‘इंडिया वर्सेस भारत’ को लेकर जिस प्रकार का चिंतन उत्पन्न हुआ है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों पर अपना-अपना तर्क जिस तरह प्रस्तुत कर रहे हैं। इससे यह कहा जा सकता है कि जैसे-जैसे विपक्ष ने इंडिया पर अपना विचार प्रकट किया, ठीक वैसे ही सत्ता पक्ष ने ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ शब्द को तुल दिया। यह इस बात की पुष्टि करता है कि चिंतन एक तरह का खेल है और यह खेल तभी शुरू होगा जब एक विरोधी पक्ष मौजूद होगा।
इस निबंध को और अच्छे से जानने एवं समझने के लिए तथा एक बेहतर निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए इसे कई आयामों में देखना होगा। जैसे – इतिहास, अंतरराष्ट्रीय संबंध, समाज, राजव्यवस्था, पर्यावरण एवं गवर्नेंस, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक न्याय आदि माध्यमों के द्वारा। तभी जाकर हम एक उपयुक्त एवं सटीक निष्कर्ष निकालने में सक्षम हो पाएंगे।
ऐतिहासिक आयाम
आइए शुरू करते हैं सबसे पहले इतिहास के कुछ उदाहरण से –
चंद्रगुप्त मौर्य, नंद वंश को पराजित करके एक नए राजवंश की स्थापना करते हैं जिसका नाम मौर्य वंश होता है। चंद्रगुप्त ने ऐसा क्यों किया? तो इसका कारण है कि स्वयं नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद की नीतियां, जिसे चंद्रगुप्त के गुरु चाणक्य तत्कालीन भारत के लिए उपयुक्त नहीं मानते थे। उन्होंने इनके खिलाफ असहमति जताई और यह शपथ ली कि वह एक ऐसी सत्ता की स्थापना करेंगे जो कल्याणकारी राज्य के आदर्शों से जुड़ा होगा।
अन्य उदाहरण में हम कांग्रेस की स्थापना को भी ले सकते हैं क्योंकि यदि ब्रिटिश सरकार भारतीय लोगों के समक्ष ऐसी विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न नहीं करते या भारतीय ब्रिटिश शासन की नीतियों से परेशान होकर चिंतन न करते तो शायद कांग्रेस की स्थापना भी न हुई होती। अर्थात चिंतन एक तरह का खेल है।
अंतरराष्ट्रीय संबंध
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के माध्यम से इस निबंध को देखें तो चीन की फॉरेन पॉलिसी भारत को घेरने की रही है। इसके लिए चीन ने एक “स्टिंग ऑफ पर्ल्स” नीति बनाया जो भारत को चारों तरफ से घेरता था। भारत ने इसके जवाब में काफी चिंतन मनन करने के बाद “नेकलेस ऑफ डायमंड” नीति लाई जो चीन को काउंटर कर सके।
अन्य उदाहरण को देखा जाए तो चीन का “बीआरआई” और “इंडो-पेसिफिक” में विस्तारवादी नीतियां और इसके बदले में भारत एवं विकसित देशों द्वारा उठाए गए कदम जैसे अभी हाल ही में G20 की बैठक में इंडिया-यूरोप एवं मिडल ईस्ट इकोनामी कॉरिडोर, पीजीआईआई, क्वाड(QUAD), एवं आईटूयूटू (I2U2) आदि।
राजव्यवस्था
राजव्यवस्था के संदर्भ में बात करें तो कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर जब कार्यपालिका ने विरोध करना शुरू किया तो न्यायपालिका ने इस पर चिंतन किया और कॉलेजियम व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए तैयार हुआ। इसके अलावा “केशवानंद भारती केस” जो केरल सरकार के भूमि सुधार के खिलाफ आया इसके माध्यम से शक्तियों को पृथक्करण सिद्धांत को स्पष्ट किया गया।
इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 370 की समाप्ति, सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 आदि विरोध के कारण इस पर चिंतन हुआ और आज इसका परिणाम हमारे सामने है।
यहाँ एक ने नागरिकों के अधिकारों को सशक्त बनाया तो दूसरे ने जम्मू-कश्मीर में शांति और सौहार्द बनाने में मदद की। अतः कह सकते हैं कि चिंतन एक तरह का खेल है जिसकी वजह से यह सब संभव हो पाया।
राज्यव्यवस्था में ऐसे भी कुछ उदाहरण मौजूद हैं जिन पर क्रिएटिव पक्ष न होने के कारण बेहतर चिंतन नहीं हुआ है। जैसे – किसी बिल को बिना चिंतन/चर्चा के पास करना, अध्यादेश के माध्यम से कानून बनाया जाना और 17वीं लोकसभा का मानसून सत्र हाईएस्ट बिल पास करने वाला सत्र रहा है लेकिन उत्पादकता के माध्यम से सबसे नीचे रहा है।
ऐसे में यदि एक क्रिएटिव विपक्ष हो तो अच्छे से चर्चा होती है एवं सही प्रक्रिया के माध्यम से कानून बनाया जाता जो की हेल्दी डेमोक्रेसी के लिए बेहद जरूरी है।
अर्थव्यवस्था
अर्थव्यवस्था के संदर्भ में बात करें तो जब हमें आजादी मिली थी उस समय भारत का खाधान्नों का शुद्ध आयातक था, आज भारत खाधान्नों के मामले में आत्मनिर्भर एवं निर्यातक बन गया है। इसका कारण है – हरित क्रांति तथा समय – समय पर सरकार द्वारा कृषि से जुडी अन्य योजनाए लाना। यह हमारे सामने इसलिए आ पाया क्योंकि विरोधी पक्ष मौजूद थें, तभी जाकर इस पर चिंतन शुरू हुआ और एक इनोवेशन के रूप में हमारे सामने आया।
अन्य उदाहरण भी हैं जैसे – प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, प्रधानमंत्री जन-धन योजना आदि।
सामाजिक व्यवस्था
सामाजिक व्यवस्था के संदर्भ में बात की जाए तो महिला आरक्षण बिल आज हमारे समक्ष आ पाया इसका मुख्य कारण है पितृसत्ता जैसी मानसिकता। इसने नीति निर्माताओं को चिंतन करने पर मजबूर किया। हालांकि आज भी यह बिल सिर्फ बिल बनाकर रहा है, इसका कारण है राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी एवं वोट बैंक की राजनीति।
आईएमएफ(IMF) के अनुसार यदि भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण किया जाता है तो वह भारत की जीडीपी समृद्धि में वृद्धि करेगा यह। भी कहा जाता है कि महिला एवं पुरुषों के समान सरोकार के बिना विकास संकटग्रस्त है।
सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय के संदर्भ में बात करें तो इस क्षेत्र में विरोधी तत्व बहुत ज्यादा मौजूद है। जैसे – समावेशी विकास करना, मानव विकास सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन करना, ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर काम करना आदि। आज भी भारत इन सब पैरामीटर में पिछड़ा हुआ है। भारत की एक बहुत बड़ी आबादी गरीबी के दुष्चक्र एवं वंचितता के प्रक्रम में फंसी हुई है।
इन्हें दूर करने की जरूरत है और यह तभी हो पाएगा जब वंचितता के प्रक्रम को तोड़ा जाएगा। वंचितता के प्रक्रम को बेहतर पोषण, बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर शिक्षा एवं बेहतर कौशल विकास करके तोड़ा जा सकता है।
पर्यावरण
पर्यावरण के संदर्भ में देखा जाए तो आज संयुक्त राष्ट्र संघ ने संपूर्ण विश्व को सतत विकास लक्ष्य 17 दिया है, जिसे 2030 तक प्राप्त करना है। यह भी तभी संभव हो पाया है जब जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग जैसे विरोधी तत्व मौजूद थें। पर्यावरणविदों एवं पीड़ित राष्ट्रों ने इस पर चिंतन किया और सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंचाने के लिए कई सारी कार्य नीतियां बनायी।
उदाहरण स्वरुप – मैंग्रोव एलायंस, मिशन लाइफ, कार्बन मार्केट, पंचामृत लक्ष्य, जीरो एमिशन लक्ष्य आदि। अर्थात कहा जा सकता है कि चिंतन एक तरह का खेल है, जिसने विभिन्न देशों को एक साथ पर्यारण सुधार के लिए नीतियां बनाने पर मजबूर कर दिया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संदर्भ में बात करें तो यह एक ऐसा क्षेत्र है जो हर विरोधी तत्वों का समाधान प्रस्तुत कर सकता है। यदि इस पर अच्छे ढंग से चिंतन एवं मनन किया जाए तो यह एक ऐसा क्षेत्र है जो पूर्णतः चिंतन पर आधारित है। जैसे – क्या कभी किसी ने सोचा था कि पक्षियों की तरह इंसान भी आसमान में उड़ सकता है या पृथ्वी ग्रह के अलावा और किसी ग्रह पर इंसान पहुंच सकता है?
क्या कभी कोई आर्टिफिशियल वस्तुएं इंसानों की नकल कर सकता है? आज यह सब संभव हो पाया है सिर्फ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के कारण और इस क्षेत्र में मानव की पहुंच सुनिश्चित हो पाई है तो सिर्फ और सिर्फ विरोधी तत्वों के कारण जिस पर मानव ने चिंतन किया और इसका समाधान हमारे समक्ष अब मौजूद है।
निष्कर्ष
विभिन्न आयामों के क्षेत्रों को देखने के बाद कहा जा सकता है कि की चिंतन एक तरह का खेल है। यह तब तक प्रारंभ नहीं होता, जब तक एक विरोधी पक्ष न हो। इस निबंध को हमने विभिन्न उदाहरण के द्वारा पुष्टि भी किया है। वर्तमान में हमारे समक्ष मौजूद जितनी भी चुनौतियां हैं वह विरोधी तत्व के रूप में हैं।
जैसे – जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, गरीबी, भुखमरी, जैव विविधता को नुकसान प्राकृतिक, मानवीय आपदाएं एवं पर्यावरण प्रदूषण तथा शहरीकरण की चुनौतियां आदि। ऐसे में हमें इस सब विषयों पर चिंतन एवं मनन करने की आवश्यकता है, जिससे कि हम एक बेहतर समाधान निकाल सकें।