वर्तमान समय में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जो कि पूर्णरूप से एक मानव जनित समस्या है। वातावरण को प्रदूषित करने वाला प्लास्टिक सभी के रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाला एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
हम प्लास्टिक को कई रूपों में इस्तेमाल करते हैं जैसे :- प्लास्टिक की पानी तथा कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, थैलें, स्ट्रॉ, कॉफी बैग इत्यादि। चाहे कचरा फेंकना हो या फिर बाज़ार से कुछ सामान लाना हो, प्लास्टिक की थैलियां अनिवार्य हो गई हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण क्या है?
जब प्लास्टिक समाधान नहीं अपितु स्वयं समस्या का कारण बन जाए, वह प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है। इसके कारण वातावरण और सभी जीव जंतुओं को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो हजारों वर्षों तक विघटित नहीं होता अथार्त ज्यों का त्यों पड़ा रहता है। यही कारण है कि इसका निपटारा बहुत मुश्किल है। वर्ष 2019 के एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर 130 मिलियन मीट्रिक टन एकल उपयोग वाले प्लास्टिक ज्यादातर कचरे के लिए ज़िम्मेदार है।
ज्यादातर प्लास्टिक कचरे को जला दिया जाता है, सीधे पर्यावरण में छोड़ दिया जाता है या लैंडफिल कर दिया जाता है, जो आगे चलकर आसपास के वातावरण को दूषित करता है जिसके कारण हर वर्ष हज़ारों जीव – जंतुओं की मृत्यु हो जाती है।
प्लास्टिक प्रदूषण के कारण
प्लास्टिक प्रदूषण का मूल कारण हम मनुष्य ही हैं जो अपनी सहूलियत के अनुसार प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ करते रहते हैं। यह हम मनुष्यों का ही आविष्कार है जो हमें विनाश की ओर ले जा रहा है। इस विनाश का कारण हमारी अनैतिकता है जिसने हमे हमारे ही खिलाफ खड़ा कर दिया है। हमने अपनी जरूरत से ज्यादा हर वस्तु का दुरुपयोग किया है जिसके कारण आज हम समस्याओं से घिरे हुए हैं। प्लास्टिक प्रदूषण का मूल कारण इस प्रकार है:-
प्लास्टिक के कचरे का उचित तरीके से निपटारा नहीं होना :
आजकल प्लास्टिक का उपयोग एक आम बात है। बाज़ार से कुछ भी खरीदने पर ज्यादातर सामान प्लास्टिक की थैलिओं में ही लपेटकर घर लाया जाता है। खाद्य पदार्थों से लेकर दवाइयां तक हर वस्तु की पैकेजिंग प्लास्टिक से ही की जाती है। तथा इन्हीं तो वह समस्या का कारण बनता है। प्लास्टिक के कचरे को खुले में फेंकना, नदियों और नालों में बहाना देना,और लैंडफिल में अनुपयुक्त तरीके से जमा करना प्लास्टिक प्रदूषण का कारण बनता है.
कचरा प्रबंधन की कमी:
प्लास्टिक कचरे का उचित कचरा प्रबंधन प्रणाली न होने के कारण यह कचरा सड़कों और नदी – नालों में भी चला जाता है, जिससे जल जमाव की समस्या उत्पन्न होती है तथा कई बार नालियों का गन्दा पानी सड़को पर बहने लगता है जो कई प्रकार की बीमारियों को भी जन्म देता है।
प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग:
वर्तमान में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से बने उत्पादों के कारन सबसे जायदा प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ता है, जैसे:- प्लास्टिक की बोतलें (कोल्ड्रिंक, पानी, इत्यादि), थैले और खाद्य सामग्री की पैकेजिंग का उपयोग, प्लास्टिक प्रदूषण में वृद्धि का कारण है।
प्लास्टिक का उत्पादन:
प्लास्टिक के उत्पादन में कई प्रकार के रसायनों का उपयोग और ऊर्जा की खपत, यह सभी मिलकर पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
माइक्रोप्लास्टिक:
चुकी प्लास्टिक कई वर्षों तक ज्यों का त्यों पड़ा रहता अथार्त विघटित नहीं होता है तो यह समय के साथ प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े में बदल जाता है, जो वातावरण में हवा तथा पानी द्वारा फैल जाता है जिससे मनुष्यों तथा जीवों को हानि पहुँचती है।
कृषि में प्लास्टिक की बढ़ती भूमिका:
आजकल कृषि कार्यों में प्लास्टिक का उपयोग भी काफी बढ़ गया है जैसे:- बीज तथा खाद के लिए प्लास्टिक की बोरियाँ, सिंचाई के लिए पाइप, कीटनाशकों की बोतलें आदि सभी प्लास्टिक के बने हुए हैं जिनके उपयोग से भी प्लास्टिक प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है।
महासागर में प्लास्टिक मलबे:
यूनाइटेड नेशन एनवायरनमेंट के अनुसार महासागरों में मौजूद लगभग 80 फीसदी कचरा, प्लास्टिक कचरा ही है। वर्त्तमान में महासागर सबसे बड़े डंपिंग ग्राउंड बनते जा रहे है। कई बार तथा मछली पकड़ने के दौरान इस्तेमाल हुए प्लास्टिक के टूटे हुए जालों का मलबा, समुद्री में ही रह जाता है जिसे समुद्री जीवों को भी काफी नुकसान पहुँचता है।
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प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के उपाय
हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक प्रदूषण वर्तमान समय की एक गंभीर समस्या है परन्तु सरकार द्वारा अभी तक इसे रोकने के लिए कोई गंभीर कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं। हालांकि कुछ नियम तो बनाये गए हैं परन्तु लोग उस पर पूरी तरह अमल नहीं कर पा रहे है या कहे कि प्लास्टिक का उपयोग हमारे रोजमर्रा कि जिंदगी में इतना आम हो गया है की हम चाह कर भी इसके उपयोग से मुँह नहीं मोड़ पा रहे है।
अतः यदि हम कुछ आदतों को अपना ले तो कहीं न कहीं इस समस्या से निपटना आसान हो जाएगा। जैसे:-
- पॉलीथिन की जगह कपड़े से बने थैले का उपयोग करना।
- प्लास्टिक के कचरे को नदी-नालों में न फेंकना।
- प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग करना।
- प्लास्टिक के कचरे को न जलाना।
- .प्लास्टिक को कूड़े दान में फेंकना।
- जितना हो सके, काम से काम प्लास्टिक का उपयोग करना।
निष्कर्ष
हालांकि प्लास्टिक का उपयोग मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है । इससे बचने के उपाय हम सभी जानते हैं परंतु उस पर अमल करना अभी बाकी है। इस संकट से बचने के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने की आयशकता है साथ ही नागरिकों को भी इसमे पूरा सहयोग देना होगा ताकि प्लास्टिक प्रदुषण को काम किया जा सके । प्लास्टिक को हटाए और पर्यावरण को हरा-भरा बनाएं।
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